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आंगनबाड़ी संघ (सीटू) जिला कमिटी की हुई बैठक

26 नवम्बर की हड़ताल को सफल बनाने का किया आह्वान

कोडरमा। झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका पोषण सखी संघ (सीटू) की बैठक जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद की अध्यक्षता में हुई। जबकि संचालन जिला सचिव वर्षा रानी ने किया। बैठक मे केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों और आईसीडीएस व सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण के खिलाफ सीटू सहित सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों तथा योजना कर्मियों के द्वारा 26 नवम्बर को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया गया। साथ ही हड़ताल की सफलता के लिए 8 नवम्बर को मजदूर कर्मचारी कन्वेंशन में शामिल होने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने हड़ताल के मुद्दों पर कहा कि मजदूर विरोधी श्रम कोड, किसान और कृषि विरोधी अधिनियम वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, कल कारखानों, रेलवे और रक्षा क्षेत्र के निजीकरण का निर्णय वापस लेने रोजगार, वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सभी के लिए पेंशन की गारंटी करने, सभी के लिए भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और आय का प्रबंध सुनिश्चित करने के साथ ही साथ कोरोना से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए आयकर के दायरे से बाहर सभी मेहनतकशों के खाते मे अगले 6 माह तक 7500 रूपये हर माह ट्रांसफर करने तथा प्रत्येक व्यक्ति को हर महीने 10 किलो अनाज दिए जाने की मांग पर यह हड़ताल किया जा रहा है।

कोविड-19 में सेविका, सहायिका व पोषण सखी से लिया गया सिर्फ कार्य

आंगनबाड़ी संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि लॉक डाउन मे आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के बावजूद लगातार बच्चों को सूखा राशन मुहैया कराया गया है। कोरोना जाँच व सर्वे मे सेविका, सहायिका व पोषण सखी की भूमिका उल्लेखनीय रही। लेकिन हमें 50 लाख के बीमा के दायरे मे नहीं रखा गया। देशभर में दर्जनों सेविका की मौत कोरोना कार्य के दौरान हो गई, लेकिन उनके परिवार को कोई लाभ नहीं मिला। इसलिए एकजुट संघर्ष ही एक रास्ता है। जिलाध्यक्ष शोभा प्रसाद व जिला सचिव वर्षा रानी ने कहा कि बैंक मे राशि पड़े रहने के बावजूद वर्ष 2016 का तीन माह का बकाया मानदेय नहीं दिया जा रहा है। उपर से अगस्त सितम्बर से पोषाहार राशि और मानदेय बकाया होने के कारण हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इसलिए आंदोलन को मजबूत करना होगा। बैठक मे शकुंतला मेहता, चिंतामणि देवी, मंजू मेहता, उर्मिला देवी, नुसरत बानो, आशा कुमारी आदि ने भी अपने विचार रखे।

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