LatestNewsTOP STORIESकोडरमागिरिडीहझारखण्डराँची

गिरिडीह सदर अस्पताल से थानों तक वक्त पर नहीं पहुंच पा रहा है हत्या के कई मामलों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दिशा की बैठक में उठ चुका है मुद्दा

एक साल पहले अस्पताल में किया गया था पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ती, लेकिन हालात में नहीं हुआ सुधार

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीह
गिरिडीह में शव का पोस्टमार्टम और उसका रिपोर्ट निर्गत सिर्फ सदर अस्पताल ही करती है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से हालात ऐसे है कि जिले के कई थाने वक्त पर ना तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही अस्पताल से ले जा रहे है। और ना ही अस्पताल प्रबंध किसी थानों को वक्त पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट निर्गत कर पा रहा है। और सिर्फ पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही क्यों, सदर अस्पताल से वक्त पर किसी मामले मंे इन्जूरी रिपोर्ट तक थानों को नहीं मिल पा रहा है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर थानांे को ले जाना है तो इन्जूरी रिपोर्ट को ही नियम के अनुसार 24 घंटे के भीतर। लेकिन लापरवाही फिलहाल थाना और अस्पताल प्रबंधन दोनों और से किया जा रहा है। जिसके कारण करीब 25 से अधिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट लंबित होने की बात सामने आ रही है।
वैसे अस्पताल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट देर से मिलने की शिकायत दो दिन पहले हुए दिशा जिला निगरानी, समवंय समिति की बैठक में जमुआ विधायक केदार हाजरा और पीरटांड के एक जनप्रतिनिधी ने उठाया था। जमुआ विधायक ने बैठक में अस्पताल और जमुआ थाना पुलिस की लापरवाही का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जमुआ के अजय रजक के मौत का पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक साल बाद भी जमुआ थाना पुलिस को नहीं मिला है। तो पीरटांड के जनप्रतिनिधी ने पीरटांड थाना के सैमूल मंराडी की मौत का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि अस्पताल से अब तक सैमूल के मौत का पोस्टमार्टम रिपोर्ट पीरटांड थाना पुलिस को नहीं मिल पाया है।
वहीं दो दिन बाद मामला सामने निकल कर आया कि अजय रजक का पोस्टमार्टम रिपोर्ट जमुआ थाना के एसआई सुधीर सिंह दो साल पहले ही हासिल कर चुके है। जिनका रिसिविंग साईन तक अस्पताल के रजिस्ट्रर में नजर आया। इसी प्रकार पीरटांड के थाना के एक पुलिस पदाधिकारी द्वारा ही सैमूल मंराडी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का रिसिविंग पिछले साल सांतवे महीने में पाया गया। बहरहाल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का यह दो मामला तो सिर्फ बानगी है। लेकिन हकीकत यही है कि रिपोर्ट को वक्त पर देने को लेकर जिले के थाने और अस्पताल प्रबंधक दोनों और से लापरवाही पिछले कई महीनों से किया जा रहा है। मामले के तह तक जाने के दौरान यह भी बात सामने निकल कर आया कि दहेज हत्या, सड़क हादसा और आपसी विवाद में हुए मारपीट के दौरान हत्या जैसे मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानों तक पहुंचने में दोनों और से लापरवाही बरती जा रही है।
जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट हत्या से जुड़े किसी भी मामले में बेहद पुख्ता दस्तावेज के रुप मंे माना जाता है। केस डायरी और चार्जशीट का फाईनल प्रतिवेदन इसी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर तैयार कर पुलिस न्यायलय में सौंपती है। लिहाजा, समझा जा सकता है कि इतने महत्पूर्ण दस्तावेज को लेकर किस कदर लापरवाही की जा रही है। वैसे हालात बेहतर करने के लिए ही एक साल पहले जिलास्तर पर एक पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ती सदर अस्पताल में सिर्फ इसलिए किया गया कि हर थानों को वक्त पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल जाएं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इस रिपोर्ट को लेकर थाना और अस्पताल प्रबंधन का रवैया बेहद खराब होता जा रहा है। मामले को लेकर जब सिविल सर्जन डा. शिवप्रसाद मिश्रा से जानकारी ली गई, तो सीएस ने बताया कि जल्द ही बैठक कर इसके समाधान का प्रयास किया जाएगा। क्योंकि मामला अब दिशा की बैठक में उठ चुका है।

Please follow and like us:
Show Buttons
Hide Buttons