सरकार के सहयोग से स्वयंसेवी संस्था ने दलालों के चंगुल में फंसी 24 बेंटियों को कराया मुक्त
- चेन्नई से एयर लिफ्ट कर रांची लाई गई सभी लड़कियां
- सिलाई-कढ़ाई का काम कहकर तमिलनाडु ले गये थे दलाल
- दवा दुकान में करती थी मजदूरी
- 12 हजार बोलकर सिर्फ 5 हजार महिना देते थे मानदेय
रांची। झारखंड सरकार के सहयोग व फिया फाउंडेशन के प्रयास से तमिलनाडु के कोयंबटूर में दलालों के चंगुल में फंसी झारखंड की 24 बेटियों को मुक्त कराया गया है। बुधवार को सभी को चेन्नई से एयर लिफ्ट कर रांची लाया गया। सभी लड़कियां पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला जिले के विभिन्न इलाकों की रहने वाली हैं। रांची आने के बाद अब उन्हें घर भेजने की तैयारी की जा रही है।
दलालों के चंगुल से मुक्त होकर रांची पहुंची लड़कियों ने बताया कि संजय जोको नाम के दलाल ने इन्हें सिलाई-कढ़ाई के नाम पर तमिलनाडु ले गया था। इसके बाद उन्हें दवा कंपनी पहुंचा दिया गया जहां उन्हें बंधुआ मजदूर बना लिया गया था। राधिका बोईपोई ने बताया कि वो तीन अक्टूबर को रांची से कोयंबटूर सिलाई का काम करने गई थी। वहां पर उन्हें दवा कंपनियों में पहुंचा दिया गया। यहां उसे दोनों टाइम का खाना भी सही तरीके से नहीं दिया जाता था। बताया कि तबियत खराब होने पर छुट्टी भी नहीं मिलती थी। वहीं मरियम पूर्ति नामक लड़की ने बताया कि उन्हें 12 हजार रुपए सैलरी देने की बात कही गई थी लेकिन वहां पर सिर्फ 5 हजार रुपए ही मिलते थे। जब लड़कियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें अलग-अलग तरीके से प्रताड़ित किया जाने लगा। जब उनलोगों ने घर आने की बात की तो दलाल के द्वारा 7 से 10 हजार रूपये की मांग की जाने लगी। बताया कि परेशान होकर उन्होंने राज्य सरकार की मदद से चलाई जा रही फिया फाउंडेशन के कंट्रोल रूम में फोन किया था।
काफी मशक्कत के बाद चेन्नई से दिल्ली के रास्ते रांची लाई गई लड़कियां
इधर फिया फाउंडेशन के समन्वयक संदीप डुंगडुंग ने बताया कि लड़कियों का कॉल आने के बाद सरकार को इसकी जानकारी दी गई। सरकार के निर्देश पर उन्हें वापस लाने की तैयारी शुरू की गई। श्रम विभाग की मदद से रेस्क्यू की कोशिश की गई। हालांकि जब रेस्क्यू की कोशिश की गई तो दलालों ने दोबारा लड़कियों को परेशान करना शुरू कर दिया था। काफी मशक्कत के बाद लड़कियों को एयर लिफ्ट कर चेन्नई से दिल्ली के रास्ते रांची लाया गया।