बंगालियों पर हावी होने की कोशिश में हैं बाहरी : तृणमूल
कोलकाता। भाजपा पर गैर-बंगाली यानी बाहरी लोगों को राज्य की जनता पर हावी करने का आरोप पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने लगाया है। जिसे भाजपा निराधार और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया है। तृणमूल के वरिष्ठ नेता व मंत्री ब्रात्य बसु ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा बंगाली विरोधी है और यही वजह है कि 2014 से केंद्र में सत्तारूढ़ इस पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसी भी बंगाली को शामिल नहीं किया गया।
श्री बसु ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर को नहीं जानने वाले बाहरी लोग राज्य की जनता पर हावी हो रहे हैं। हमने उनकी हिंसा को देखा, जिसके चलते (मई 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान) ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा की क्षतिग्रस्त की गयी। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता गैर-बंगाली बाहरियों के प्रभुत्व को कभी स्वीकार नहीं करेगी। इतिहास गवाह है कि ऐसा कोई भी प्रयास कभी सफल नहीं हुआ। इस बार भी ऐसा होने की कोई गुंजाइश नहीं है।
उन्होंने कहा कि वे बाहरियों की मदद से हम पर हावी होना चाहते हैं। क्या हमें सिर झुकाकर रहना चाहिये? क्या यही बंगालियों के भाग्य में लिखा है? दूसरी ओर तृणमूल के इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा नेतृत्व ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि तृणमूल ने अपनी चुनावी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए जिस चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नियुक्ति की है, वह बंगाली हैं या गैर बंगाली।
भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने कहा कि हमारे केंद्रीय नेता यहां हमारी मदद करने आए थे, न कि हमें फरमान सुनाने। तृणमूल बाहरियों की बात कर रही है। मैं पार्टी से पूछता हूं कि क्या किशोर एक बंगाली हैं। तृणमूल जानती है कि वह विधासनभा चुनाव हारने वाली है। यही वजह है कि वह इस तरह के हथकंडे अपना रही है। बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिये चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है। तृणमूल कांग्रेस अक्सर भाजपा नेताओं को बाहरी कह कर निशाना साधती रही है।