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सरकार की नीतियों से आक्रोशित शराब कारोबारी कभी भी जा सकते है हड़ताल पर

सरकार हर दुकानदारों पर शराब उठाव का 9 फीसदी का कोटा कर चुकी है तय

गिरिडीह। राज्य सरकार के नीतियों से आक्रोशित गिरिडीह के शराब कारोबारी जल्द ही हड़ताल कर सकते है। हालांकि कारोबारियों ने हड़ताल का कोई फैसला तो नहीं लिया है। लेकिन कारोबारियों में नीतियों को लेकर गुस्सा जरुर है। शराब कारोबारियों में शामिल आतिश कुमार, चरणजीत सिंह सलूजा समेत कई अन्य कारोबारियों का कहना है कि राज्य रिटेल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने हड़ताल पर जाने का कोई फैसला नहीं लिया है। क्योंकि सूबे के उत्पाद मंत्री जगरन्नाथ महतो फिलहाल बीमार है और जो मांगे शराब कारोबारियों की है, उस पर मंत्री ने विचार करने का भी भरोसा दिया है। मंत्री के स्वस्थ होने के बाद जल्द कोई निर्णय लिया जाएगा।

डेढ़ साल में अब तक के सबसे निचले पायदान पर शराब की बिक्री

बताते चलें कि पूरे जिले में देशी, विदेशी और कंपोजिट की कुल 90 दुकानों का ई-आॅक्सन साल 2019-20 में तीन सालों के लिए किया गया था। इसमें सरकार को 250 करोड़ से अधिक का राजस्व मिला था। फिलहाल एक साल के आॅक्सन का वक्त गुजर चुका है। वहीं अब दुसरा साल चल रहा है। दरअसल, वर्तमान में हेंमत सरकार ने एक शराब पर हर साल 9 फीसदी का कोटा तय कर रखा है और कारोबारियों के लिए यही सबसे बड़ी समस्या हो रही है कि कोरोना काल में शराब की ब्रिकी अब तक के सबसे नीचले स्तर पर है।

शराब कारोबारी कर रहे है 7. 23 फीसदी करने की मांग

उदाहरणस्वरुप एक दुकान को हर माह 25 लाख से अधिक का कोटा झारखंड राज्य बिबरेज काॅरपोरेशन से उठाने की शर्त है। लेकिन हर माह शराब की ब्रिकी एक दुकान में 40 से 42 लाख के करीब है। जबकि दुकानदारों का कहना है कि अगर हर माह सरकार के शर्त के आधार पर कोटा उठाया जाता है तो उसके अनुसार एक दुकान की ब्रिकी 65 से 70 लाख के करीब होना चाहिए और ब्रिकी का यही आंकड़ा पिछले डेढ़ सालों में सबसे कम है। लिहाजा, शराब कारोबारी हेंमत सरकार से कोटा की प्रतिशत 9 फीसदी से घटाकर 7. 23 प्रतिशत तय करने की मांग कर रहे है।

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