नाबार्ड के सहयोग से रुद्रा फाउंडेशन देगी मुधमक्खी पालन व फुलों की खेती का प्रशिक्षण
- डुमरी प्रखंड के कस्माकुरहा एवं सदर प्रखंड के कोबाड़ में शुरू हुआ प्रशिक्षण
गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड के कस्माकुरहा एवं गिरिडीह प्रखंड के कोबाड़ में नाबार्ड के सहयोग से रुद्रा फाउंडेशन द्वारा 15 दिवसीय मधुमक्खी पालन एवं फूलों की खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। प्रशिक्षण शिविर में सुक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अंतर्गत किसान उत्पादक संगठन में बने संयुक्त देयता समूह के सदस्यों को सशक्त बनाने को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य मधुमक्खी बोर्ड के प्रशिक्षित प्रशिक्षक इरफ़ान अहमद एवं मो. रहमतुल्लाह यह प्रशिक्षण करवा रहे हैं।
रुद्रा फाउंडेशन के सचिव सेयद सबीह अशरफ ने बताया की मधुमक्खी पालन कृषि से ही जुड़ा एक व्यवसाय है। जिसमें कम लागत और अधिक मुनाफा है। कृषि से जुड़े लोग या फिर बेरोजगार युवक इस व्यवसाय को आसानी से अपना सकते है। झारखंड राज्य में कृषि के साथ बागवानी की अच्छी गुंजाइश है। यहाँ के जंगल, करंज, जामुन, नीम, सखुआ, सागवान, शीशम, सेमल आदि पेड़ों से भरे है। जिससे शहद का उत्पादन आधिक होता है। मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है।
कहा कि फूलों की खेती के साथ यह उद्योग अधिक फायदेमंद होता है। जिससे 20 से 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो जाती है। सूरजमुखी, गाजर, मिर्च, सोयाबीन, फलदार पेड में जैसे नींबू, आंवला, पपीता, अमरूद, आम, मौसमी, अंगूर, यूकेलिप्टस और गुलमोहर जैसे पेडवाले क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन आसानी से किया जा सकता है। मधुमक्खी पालन के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, लेकिन नवंबर से फरवरी का समय तो इस व्यवसाय के लिए वरदान है।
कार्यक्रम के उद्घाटन में संयुक्त देयता समूह के सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और प्रशिक्षण उपरांत मधुमक्खी पालन एवं फूलों की खेती करने का संकल्प लिया। प्रशिक्षण के दौरान पारसनाथ एफपीओ के निदेशक और संयुक्त देयता समूह के 35-35 प्रशिक्षु उपस्थित थे।