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झारखण्ड सरकार दलित विरोधी – महादेव दुबे

राज्य सरकार पर लगाया असंवैधानिक तरीके से मेयर सुनील पासवान को हटाने का आरोप

गिरिडीह। भाजपा के जिला अध्यक्ष महादेव दुबे ने एक बयान जारी कर कहा कि गिरिडीह नगर निगम गठन के पश्चात वर्ष 2018 में पहली बार महापौर और उपमहापौर का चयन लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव कराकर किया गया था। उस चुनाव में महापौर का पद आरक्षित होने के कारण सुनील पासवान को गिरिडीह नगर की जनता ने बतौर महापौर के रूप में चुना था। जिसे मौजूदा सरकार ने स्थानीय नीति 2016 के आधार पर अघोषित कर दिया है, जो असंवैधानिक है। जबकि श्री पासवान अपने जाति प्रमाण पत्र और स्थानीय प्रमाण पत्र के आधार पर वर्ष 2018 के पूर्व दो बार मुखिया का चुनाव लड़ चुके है, हालाँकि चुनाव हार गए थे। वर्ष 2018 में बतौर महापौर चयन होने के उपरांत निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, लेकिन वर्ष 2019 में राज्य की सरकार बदलते ही श्री पासवान को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। जिसकी जाँच के क्रम में पूरे मामले का निर्णय लेने हेतु राज्य सरकार को सुपुर्द कर दिया गया था। जाति प्रमाण पत्र या स्थानीय प्रमाण पत्र संबंधित पदाधिकारी द्वारा निर्गत किया जाता है, ऐसे में प्रमाण पत्र को गलत बताकर पद से विमुक्त करना, पूर्वाग्रह से ग्रसित होना प्रतीत होता है।

चरणबद्ध आंदोलन करेगी भाजपा

भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार दलित विरोधी, किसान विरोधी, आदिवासी विरोधी है। राज्य की सरकार तानाशाह हो गई है। जनहित में कार्य करने के बजाय अपना स्वार्थ साधना चाहती है। भाजपा जिला कमिटी इसका घोर विरोध करती है और जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार से यह मांग करती है कि सुनील पासवान किस जाति के हैं कृपया स्पष्ट करें। कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ भाजपा जिला कमिटी सांगठनिक एवं लोकतांत्रिक तरीके से चरणबद्ध आंदोलन करने का रणनीति बना रही है।

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