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एसीबी करेगी बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाले की जांच

  • सीएम हेमंत सोरेन ने दी जांच की मंजूरी
  • पिछली सरकार में नहीं मिली थी जांच की अनुमति
  • एजेंसी के पक्ष में उसकी शर्तों के मुताबिक ज्यादातर कार्य की प्रदान की गई थी अनुमति

रांची। झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम में बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाले की जांच एसीबी करेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी को जांच से कराने की अनुमति दे दी है। बताया जा रहा है कि विभागीय जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद ऊर्जा उत्पादन निगम ने पूर्व में ही केस दर्ज करने का आग्रह एसीबी से किया था। एसीबी ने इस मामले मेें विभागीय मंत्री से मंतव्य मांगा था, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार में इसकी अनुमति नहीं मिलने के कारण फाइल ठंडे बस्ते में चली गयी थी। हालांकि हेमंत सरकार बनने के बाद एक बार फिर यह मामला मुख्यमंत्री के समक्ष आया और उन्होंने जांच की अनुमति दे दी।

बिना प्रक्रिया और सक्षम प्राधिकार के अनुमोदन के बिना ही दी गई गई स्वीकृति

विदित है कि पतरातू थर्मल पावर स्टेशन के लिए भारत सरकार ने बनहरदी कोल ब्लॉक का आवंटन तत्कालीन झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड को किया था। कोल ब्लॉक आवंटित होने के बाद नियमानुसार इसकी जियोलॉजिकल रिपोर्ट तैयार की जाती है। निगम प्रबंधन ने जियोलॉजिकल रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। इस पर विद्युत बोर्ड के तत्कालीन सदस्य (उत्पादन) ने साउथ वेस्ट पिनाकल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च के माध्यम से जियोलॉजिकल रिपोर्ट तैयार कराने का प्रस्ताव दिया था। इसमें उत्पादन को एक करोड़ रुपये तक की योजना की स्वीकृति का ही अधिकार था। लेकिन आरोप है कि सदस्य उत्पादन ने बगैर किसी प्रक्रिया अपनाये हुए और बोर्ड अथवा सक्षम प्राधिकार के अनुमोदन के बिना ही एजेंसी के पक्ष में उसकी शर्तों के मुताबिक ज्यादातर कार्य को अनुमति प्रदान कर दिया था। कार्य का आवंटन 14.27 करोड़ रुपये में किया गया था। इसके अलावा सर्विस टैक्स का भी भुगतान किया गया।

निगम जांच में इन अधिकारियों पर लगा था आरोप

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एसएन वर्मा, तत्कालीन सदस्य उत्पादन सुधांशु कुमार, कार्यपालक अभियंता गोविंद यादव, अधीक्षण अभियंता आरके सिंह व तत्कालीन मुख्य अभियंता (परियोजना) काजी मोहम्मद इसराइल पर तथ्यों को छिपाकर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने का आरोप है। बाद में विद्युत बोर्ड का बंटवारा हुआ है और बनहरदी कोल ब्लॉक झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम के हिस्से में आ गया। निगम द्वारा जब मामले की विभागीय जांच की गयी, तो गड़बड़ी की पुष्टि हुई। इसके बाद निगम प्रबंधन द्वारा 27 मार्च 2019 को एसीबी के एसपी को पत्र भेजकर केस दर्ज करने का आग्रह किया था।

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