पीरटांड़ में 15 दिवसीय बांस हस्त शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम की हुई शुरुआत
नाबार्ड के सहयोग से हैल्प फाउंडेशन द्वारा किया गया है प्रशिक्षण का आयोजन
गिरिडीह। जिले के पीरटांड़ सिंहपुर में हैल्प फाउंडेशन एवं नाबार्ड के सहयोग से 15 दिवसीय (एमईडीपी योजनांतर्गत) बांस हस्त शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का उद्धाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार, एलडीएम रविन्द्र एवं डीडीएम नाबार्ड आशुतोष प्रकाश, हेल्प फाउंडेशन के सचिव रितेश चन्द्र व संस्था की प्रशिक्षिका चिंता देवी ने संयुक्त रूप से दिप प्रज्ज्वलित कर किया। वहीं प्रशिक्षिक दल ने सभी अतिथियों का स्वागत बम्बूक्राफ्ट बुके प्रदान कर किया।
इंटरनेशनल बाजार में हैंडीक्राफ्ट की डीमांड: बीडीओ
मुख्य अतिथि प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार ने आयोजक संस्था हेल्प फाउंडेशन और नाबार्ड के प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि जैसा कि मार्गदर्शक टीम और प्रशिक्षक है आप निश्चित ही कामयाब होंगे। सौभाग्य से हम अंतराष्ट्रीय तीर्थ नगरी में है जहां की मार्किट इंटरनेशनल बाजार जैसी है जहां हैंडीक्राफ्ट की बहुत अहमियत है। कहा कि पूरे सिंहपुर को बांस शिल्प में दक्ष बनाने में वे हर संभव सहयोग करेंगे। एलडीएम रविन्द्र कुमार सिंह ने संस्था की प्रशिक्षिका एवं पूरे आयोजन टीम को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रतिभागियों को सरकार की सुरक्षा स्किम से जुड़ने और जुड़वाने कि आवश्यकता को बतलाया। कहा कि हेल्प फाउंडेशन व नाबार्ड के मार्गदर्शन में बढ़ आप स्वावलम्बी बनने की शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था के सचिव ऋतेश चन्द्र ने संक्षिप्त रूप से संस्था की गतिविधियों से परिचित कराते हुए कार्यक्रम की इम्पेक्ट बेस्ड संकल्पना की जानकारी देते हुए परियोजना पर प्रकाश डाला। साथ ही इस अवसर पर स्पष्टीकरण के लिए सह आयोजक के तौर पर उपस्थित डीडीएम नाबार्ड ने एमईडीपी और इसके माध्यम से रूरल मार्ट और रूरल फैडरेशन की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने हेतु महिलाओं को आमंत्रित किया।
ये लोग थी उपस्थित
कार्यक्रम के दौरान संस्था की प्रशिक्षिका चिंता देवी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के लीगल एडवाइजर गीतेश चन्द्र, पीरटांड़ के यूथ संयोजक अंकित कुमार, कृषि उत्प्रेरक मुकेश मंडल, बीपीओ (शिक्षा) भोलाशंकर सहित मित्र आर्यन मुख्य थे। वहीं शिखर जी बॉस हस्तशिल्प की भागवंती सहित अन्य स्वयं सहायता समूह की सदस्यों ने योगदान दिया।