LatestNewsगिरिडीहझारखण्डदेशहेल्थ

गिरिडीह में आयुष्मान भारत योजना से हुआ 11 करोड़ 37 लाख का भुगतान

हाॅस्पिटलों में ना कोई सुविधा और ना बेहतर इलाज


कुछ हाॅस्पीटलों में अत्याधुनिक सुविधा, तो अधिकांश के हालात एक जैसे

गिरिडीह। गिरिडीह में आयुष्मान भारत योजना का फायदा लाभार्थि कितना उठा पा रहे है, यह फिलहाल सवालों के घेरे में है। लेकिन इतना जरुर है कि केन्द्र सरकार की यह योजना कुछ प्राईवेट हाॅस्पीटलों के लिए बड़े कमाई का जरिया जरुर बन चुका है। हालांकि कुछ प्राईवेट हाॅस्पीटलों के अत्याधुनिक होने के कारण लाभार्थियों को इस योजना से फायदा मिल रहा है। लेकिन जिले के अधिकांश हाॅस्पीटलों के हालात ऐसे नहीं है कि उन्हें आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा सकें। इसके बाद भी बगैर अर्हता पूरा करने वाले प्राईवेट हाॅस्पीटलों को योजना के तहत भुगतान करने वाली बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेस ने जोड़ दिया है। साफ जाहिर है कि इसके पीछे कंपनी और योजना की माॅनिटरिंग करने वाले अधिकारियों का मकसद क्या हो सकता है। क्योंकि किसी भी गंभीर बीमारी के मरीज योजना के रजिस्ट्रर्ड प्राईवेट हाॅस्पीटल में भर्ती होते है तो कुछ दिन इलारत रहने के बाद वैसे मरीजों को अंततः रेफर कर दिया जाता है।

कोरोना काल में हुआ अधिक क्लेम

लेकिन जानकार भी हैरानी होगी कि पिछले एक साल में ऐसी हालात में भी आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने वाले प्राईवेट हाॅस्पीटलों ने बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस से 11 करोड़ 37 लाख छह हजार का भुगतान भी ले लिया। भुगतान का यह आंकड़ा काफी प्रयास के बाद सामने आया है। भुगतान का यह आंकड़ा पिछले साल सितबंर माह से लेकर चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के सितबंर का है। स्वास्थ विभाग के सूत्रों की मानें तो चालू वित्तीय वर्ष में कोरोना महामारी का खतरा बढ़ने के बाद जिले के कुछ प्राईवेट हाॅस्पीटलों ने बीमा कंपनी के पास काफी अधिक क्लेम कर दिया। क्लेम के आधार पर ही अब तक 11 करोड़ 36 लाख का भुगतान भी कर दिया गया। हालांकि योजना की माॅनिटरिंग कर रहे एक पदाधिकारी का दावा है कि पिछले एक साल में जितना भुगतान किया गया। उसमें तीन से चार करोड़ का खर्च बाहर में इलाज कराएं लोगों पर किया गया है। जो इसी जिले के रहने वाले है।

कुछ हाॅस्पिटल के लिए बना कमाई का मुख्य जरिया

आयुष्मान भारत योजना जिले के कुछ वैसे प्राईवेट हाॅस्पीटलों के कमाई का बड़ा जरिया कैसे बन गया है। जिनके पास कोई संसाधन नहीं है। सिविल सर्जन डाॅ. अवद्येश सिन्हा भी मानते है कि वक्त-वक्त पर योजना और भुगतान की समीक्षा होना जरुरी है। क्योंकि इसी समीक्षा के आधार पर कुछ दिनों पहले बिरनी प्रखंड के वेंदाता हाॅस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर में गड़बड़ी पाई गई। जिसके आधार पर वेंदाता पर जुर्माना लगाया गया। फिलहाल वेंदाता पर और कार्रवाई होना है। इसकी जांच और समीक्षा किया जा रहा है।


आयुष्मान योजना के तहत रजिस्ट्रर्ड है 34 सरकारी व गैर सरकारी हाॅस्पिटल

स्वास्थ विभाग के सूत्रों की मानें तो एक साल के भीतर शहर के कुछ नामचीन नर्सिंग होम को आयुष्मान भारत से अत्यधिक भुगतान किया गया है। जानकारी के अनुसार आयुष्मान भारत योजना से जिले के 34 सरकारी व गैर सरकारी हाॅस्पीटल रजिस्ट्रर्ड है। जिसमें सदर हाॅस्पीटल, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र बेंगाबाद, बगोदर, गांडेय, बिरनी, जमुआ, पीरटांड़, गांवा, तिसरी के अलावे रेफरल हाॅस्पीटल डुमरी, धनवार के बाद प्राईवेट हाॅस्पीटलों में शहर के चिरैयाघाट स्थित विश्वनाथ नर्सिंग होम, मकतपुर-बरगंडा रोड स्थित शिवम क्लिनिक, कचहरी रोड स्थित नवजीवन नर्सिंग होम, बोड़ो स्थित सहयोग हाॅस्पीटल, नवद्धीप नर्सिंग होम, जीवनधारा नर्सिंग होम, पचंबा स्थित कौशल क्लिनिक, भंडारीडीह स्थित आजाद नर्सिंग होम, बंसती देवी गोयनका सेवा सदन, जीडी बगेड़िया सेवा सदन, डुमरी स्थित मीणा जेनरल हाॅस्पीटल, नेत्रधाम आई हाॅस्पीटल, सरिया सेवा सदन, दुबे नर्सिंग होम, क्रिएस्ट केयर हाॅस्पीटल, वेंदाता हाॅस्पीटल समेत कई शामिल है।

Please follow and like us:
Show Buttons
Hide Buttons