कोवाड जंगल में मिले महिला ललिता देवी हत्याकांड का खुलासा करने में सफल रही गिरिडीह की मुफ्फसिल थाना पुलिस
अवैध संबध के कारण हुआ था ललिता की हत्या, तीन आरोपी को भेजा गया जेल, एक फरार
गिरिडीहः
ललिता देवी हत्याकांड का खुलासा गिरिडीह के मुफ्फसिल थाना पुलिस ने छह दिन के दौरान सोमवार को करने में सफल रही। धनवार के परसन ओपी के खिजरसोता गांव निवासी महेन्द्र वर्मा की पत्नी ललिता देवी की हत्या में शामिल तीन आरोपियों वीरेन्द्र वर्मा, पवन वर्मा और अभिषेक दास को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। पुलिस सूत्रों की मानें तो ललिता की हत्या अवैध संबध के कारण हुआ था। क्योंकि हत्याकांड मंे शामिल वीरेन्द्र वर्मा के पिता सहदेव वर्मा से ललिता के अवैध संबध थे, पिछले कई महीनों से सहदेव और ललिता के अवैध संबध गांव में चर्चा का विषय बना हुआ था। सहदेव वर्मा भी खिजरसोता का ही रहने वाला है। ग्रामीणों के जरिए ही सहदेव के बेटे और हत्याकांड के साजिशकर्ता वीरेन्द्र वर्मा को पिता और ललिता देवी के बीच अवैध संबध होने की जानकारी मिली। इसके बाद सहदेव के बेटे वीरेन्द्र वर्मा ने ललिता के हत्या की साजिश तैयार किया। और अपना प्लानिंग खिरजसोता के अभिषेक दास, मंडरो के संतोष और परसन ओपी के कैलाढाब गांव निवासी पवन वर्मा को बताया। इसके बाद वीरेन्द्र वर्मा के कहने पर ही संतोष ने ललिता देवी को फोन कर कोवाड बुलाया था। जबकि मृतिका अपने ससुराल खिजरसोता से गांडेय के करिहारी गांव स्थित अपनी बहन के घर जाने के लिए निकली थी। लेकिन संतोष के फोन के बाद मृतिका ललिता देवी जमुआ में उतर गई। और जमुआ से एक आॅटो पकड़ कर कोवाड पहुंची। जहां उसकी हत्या इन चारों ने मिलकर किया। पुलिस की मानें तो वीरेन्द्र वर्मा और संतोष आपस में साला-बहनोई है। फिलहाल संतोष फरार बताया जा रहा है। जबकि हत्याकांड का जेल भेजा गया दुसरा आरोपी पवन वर्मा संतोष का दोस्त बताया जाता है।
वैसे हत्याकांड के दुसरे दिन गुरुवार को पोस्टमार्टम से पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगा था। जबकि 22 सितंबर यानि बुधवार की शाम को ललिता देवी का शव कोवाड के जंगल में जिस हालात में मिला था। उसे संकेत दुष्कर्म कर हत्या के मिल रहे थे। इसके बाद सदर एसडीपीओ अनिल सिंह और मुफ्फसिल थाना प्रभारी विनय राम ने मामले की जांच शुरु किया। और जांच में तेजी लाया। करीब छह दिनों की जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा करने में पुलिस सफल रही।