वार्ड पार्षदों की कौन कहें, गिरिडीह नगर निगम में डिप्टी महापौर और नगर आयुक्त के पास फरियाद करने पर भी वक्त पर नहीं मिल रहा डैथ सर्टिफिकेट
एक तो अपनों को खोने का गम, तो दुसरी तरफ उनके जीवित नहीं होने का प्रमाण पत्र मिलने में देरी
गिरिडीहः
एक तो अपनों को खोने का गम और उसके बाद उनके जीवित नहीं होने का प्रमाण पत्र मिलने में देरी होना। समझा जा सकता है कि दोनों ही कितना दर्दनाक है। फिलहाल एक दर्द गिरिडीह नगर निगम वैसे लोगों को दे रहा है। जिन्हें अपनों की मौत के बाद निगम से डैथ सर्टिफिकेट लेना है। लेकिन निगम के हाल ऐसे है कि एक-एक आवेदकों का डैथ सर्टिफिकेट पिछले चार महीनें से लंबित है। निगम सूत्रों की मानें तो पिछले चार महीने में ढाई सौ से अधिक डैथ सर्टिफिकेट लंबित है। जाहिर है कि प्रमाण पत्र के लिए आवेदन देने के बाद भी वक्त पर वैसे लोगों को प्रमाण पत्र नहीं मिले। तो वो लंबित होगे ही। आवेदकों को प्रमाण पत्र लेने में पसीना बहाना पड़ रहा है। क्योंकि वार्ड पार्षद की कौन कहें, हालात ऐसे भी है कि डिप्टी महापौर और उप नगर आयुक्त के पास भी बार-बार आवेदकों को फरियाद करने पर वक्त पर डैथ सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा है। अब ऐसे में जब बड़े साहबों के पास भी फरियाद करने पर डैथ सर्टिफिकेट वक्त पर ना मिले। तो समझा जा सकता है कि गिरिडीह नगर निगम किसके भरोषे कार्य कर रहा है। बताते चले कि इसी साल मार्च महीने के अंतिम सप्ताह के दौरान कोरोना संक्रमण की दुसरी लहर ने दस्तक देते ही अपना प्रभाव इतना अधिक दिखाया कि संक्रमितों के मौत के आंकड़े गिनना मुश्किल हो रहा था। और जब संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरु हुआ। तो जून तक निगम के पास साढ़े तीन सौ से अधिक मौत के प्रमाण लेने वालों ने आवेदन दिया। इसमें समान्य मौत के तुलना में कोरोना संक्रमण से हुई मौत के आवेदन सबसे अधिक थे।
जनकारी के अनुसार कोरोना से होने वाले मौत के आवेदन के दो अलग फार्म भरे जाते है। जिसमें गिरिडीह में होने वाले मौत का फार्म आवेदन के साथ दिया जाता है। तो दुसरे जिले और दुसरे राज्यों में मौत का डैथ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन के साथ दुसरा फार्म भरकर देना पड़ता है। लिहाजा, आवेदन तो आने जारी है। लेकिन आवेदकों को सर्टिफिकेट वक्त पर नहीं मिल पा रहा। वैसे इस मामले में जब उप नगर आयुक्त राजेश प्रजापति से कारण जानने का प्रयास भी किया गया। लेकिन उप नगर आयुक्त का नंबर लगातार नाॅट रिचेबल आता रहा।