गिरिडीह के चार दुर्गा मंडप के विसर्जन में हजारों श्रद्धालु, माता की प्रतिमा को कंधे पर लिए निकले भक्त
जय दुर्गे के जयकारें से गूंजा पूरा शहर, पंरपरा के अनुसार कोइछा भरकर महिलाओं ने पूरा किया सिंदूर खेला की रस्म
गिरिडीहः
विजयादशमी के साथ ही नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र का समापन सोमवार को धूमधाम से संपन्न हो गया। मूर्ति विसर्जन को लेकर गिरिडीह प्रशासन पूरी तरह चुस्त रहा। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में सबसे पहले बरगंडा सार्वजनिक काली मंडा और बनियाडीह में परियोजना कार्यालय के समीप सार्वजनिक काली मंडा की मूर्ति का विसर्जन किया गया। सैकड़ो सालों की पंरपरा के अनुसार शहर के बरगंडा सार्वजनिक काली मंडा के विसर्जन शोभा यात्रा में जहां हजारों भक्तों की भीड़ जुटी। और कंधे पर माता की प्रतिमा लिए निकले। इसे पहले शहर के काली मंडा में महिलाओं ने मान्यताओं के अनुसार माता को कोईछा भरा। इसके बाद एक-दुसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला के रिवाज को पूरा किया। सिंदूर खेला में वृद्धों से लेकर नवविवाहिताएं शामिल हुई। और एक-दुसरे को सिंदूर लगाकर आर्शीवाद ली।
कमोवेश, सिंदूर खेला की रस्म हर एक पूजा पंडाल और मंडपों में खेला गया। सिंदूर खेला की रस्म के बाद युवा भक्तों की भीड़ पूरे उत्साह और जोश के साथ बरगंडा सार्वजनिक काली मंडा में जुटे। जहां भक्तों की भीड़ ने पंरपरा के अनुसार कांधे पर माता की प्रतिमा को लेकर काली मंडा से निकले। कांधे पर माता की प्रतिमा को लेने के लिए ही युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। हर एक भक्त जय दुर्गे का जयकारा लगाते हुए चल रहे थे।
इस बीच शहर के गांधी चाौक स्थित श्री श्री आदि दुर्गा मंडप और छोटकी दुर्गा मंडप की प्रतिमा को लिए भी युवा भक्तों की भीड़ कंधे पर लिए निकले। इस दौरान पचंबा सार्वजनिक काली मंडा की प्रतिमा को कंधे पर लेने के लिए श्रद्धालुओं में उत्साह था। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पंरपरा का निर्वाहन करते हुए जिला मुख्यालय के इन तीन प्रतिमाओं को कंधे पर लेकर निकले। और अपने-अपने इलाके का भ्रमण करते हुए मूर्तियों का विर्सजन किया।