माओवादियों की गोली का शिकार हुए सुभाष बरनवाल हत्याकांड का कारण चार साल बाद भी तलाशने में नाकाम रही गिरिडीह पुलिस
घटना के बाद कई मामले निकल कर आएं थे सामने, लेकिन वास्तविक कारण अब भी नहीं जान सकी पुलिस
ग्रामीणों ने सुभाष का मनाया चाौथी बरसी, शहीद दिवस मनाकर प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
गिरिडीहः
आपसी रंजिश में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के गोली के शिकार हुए सुभाष बरनवाल की चाौथी बरसी शुक्रवार को गिरिडीह के भेलवाघाटी में मनाया गया। चाौथी बरसी को शहीद दिवस का नाम देते हुए ग्रामीणों और परिजनों ने भेलवाघाटी में जहां मृतक के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। वहीं डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीणों को भोजन कराया गया। इस दौरान भेलवाघाटी थाना प्रभारी प्रशांत कुमार के अलावे मृतक की मां सह भेलवाघाटी की मुखिया प्रभावती बरनवाल, गौरीशंकर बरनवाल, चतरो के अंबिका बरनवाल, विजय साव, टेकनारायण हांसदा, किशोर राम, जागेशवर यादव, कमलू सिंह समेत काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। बताते चले कि मृतक सुभाष बरनवाल भेलवाघाटी की मुखिया प्रभावती बरनवाल के बड़े बेटे थे। सुभाष की हत्या साल 2017 में माओवादियों ने आपसी रंजिश में कर दिया था। घटना के वक्त मृतक सुभाष अपने घर पर गांव के ही श्याम सुंदर पंडित और उसके बेटे अविनाश के साथ मौजूद था। तीनों मिलकर मुखिया प्रभावती बरनवाल के सरकारी कामों को निपटा रहे थे। इसी दौरान जमुई-गिरिडीह इलाके का दुर्दांत माओवादी पिंटू राणा और सुंरग यादव अपने दस्ते के साथ शाम करीब छह बजे मुखिया के घर घुसा। और सुभाष को कब्जे में लेते हुए उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा। इस दौरान सुभाष को दो गोली लगी। जिसे मौके पर ही सुभाष की मौत हो गई। जबकि माओवादियों के फायरिंग का शिकार श्याम सुंदर पंडित और उसके बेटे अविनाथ कुमार भी हुए थे। वैसे पिंटू राणा व सुंरग यादव के साथ जमुई के राजू यादव का हाथ भी हत्याकांड में शामिल होने की बात उस वक्त सामने आई थी। फिलहाल नक्सली कांड में राजू यादव अब भी जेल में बंद है। राजू यादव रहने वाला तो जमुई का है। लेकिन भेलवाघाटी के जगसीमर गांव में इस माओवादी का ससुराल बताया जा रहा है। राजू यादव पर ही पिछले साल भेलवाघाटी के पंचायत सेवक विजय भदानी की हत्या का भी आरोप है।
मुखिया पुत्र हत्याकांड का कारण चार साल पहले कई प्रकार की बाते निकल कर सामने आई थी। लेकिन गिरिडीह पुलिस इन चार सालों के दौरान हत्या का कारण तलाशने में नाकाम रही। क्योंकि हत्याकांड में शामिल पिंटू राणा जहां अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। वहीं जमुई पुलिस के हत्थे चढ़ा सुंरग यादव से भी बिहार पुलिस इस मामले में कोई पूछताछ नहीं कर पाई है। दरअसल, मृतक की मां प्रभावती बरनवाल ने पिछला पंचायत चुनाव भेलवाघाटी से लड़ी थी। इसी भेलवाघाटी पंचायत से हत्याकांड में शामिल राजू यादव भी चुनाव लड़ना चाहता था। लेकिन इलाके में प्रभावती का खास प्रभाव रहने के कारण हत्याकांड के आरोपी राजू यादव को समर्थन नहीं मिला। लिहाजा, वो चुनाव में खड़ा तो नहीं हो पाया। लेकिन चुनाव नहीं लड़ने का गुस्सा आरोपी राजू यादव ने सुभाष बरनवाल की हत्या कर निकाला। जानकारी के अनुसार पिंटू राणा और सुंरग यादव से राजू यादव ने ही मुलाकात कर सुभाष की हत्या का योजना बनाया था। लेकिन हत्याकांड के दौरान राजू एक नक्सली कांड में जेल चल गया। इसके बाद साल 2017 में पिंटू राणा और सुंरग यादव ने अपने दस्ते के साथ मिलकर सुभाष की हत्या कर दिया था।