कड़े संघर्ष के बाद तीसरी बार सत्ता में लौट सकती है तृणमूल : सर्वेक्षण
कोलकाता। 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुनाव 2021 के मार्च- अप्रैल में हो सकता है। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां पहले ही मैदान में उतर चुकी हैं। हालांकि प्रमुख लड़ाई भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ही होगी। इस चुनाव में जीत-हार का फैसला दोनों पार्टियों में केवल चार फीसदी वोट का अंतर को पाटने या कायम रख पाने पर निर्भर करेगा।
अभी हाल में हुए एक निजी चैनल के सर्वेक्षण से इसका खुलासा हुआ है।
विधानसभा चुनावों पर सर्वेक्षण एजेंसियों ने एक अग्रिम जनमत सर्वेक्षण किया है। सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, यदि अभी बंगाल में विधानसभा चुनाव होता है तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में आ सकती है। लेकिन जमीनी स्तर पर जीत के लिए तृणमूल को कड़ा संघर्ष करना होगा। पहली बार भाजपा इस विधानसभा चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर उतरेगी। इससे पहले हुए दो चुनावों में वाममोर्चा और बाद में वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन तृणमूल के लिए मुख्य प्रतिद्वंदी थे। वैसे बिहार चुनाव परिणाम पर भाजपा का भविष्य निर्भर करता है। यदि भाजपा गठबंधन के पक्ष में नतीजा आया तो भाजपा बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी जोर लगा देगी। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल को 294 में से 211 सीटें मिली थीं। भाजपा ने 3 सीटें जीतीं थी। कांग्रेस को 44 और लेफ्ट को 32 सीटें मिली थी। लेकिन 2021 के चुनाव में आंकड़ा कुछ और ही होगा।
चुनाव विशेषज्ञ मानते हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव कराने पर ममता की तृणमूल कांग्रेस को 155 से 163 सीटें मिल सकती हैं। सरकार बनाने के लिए केवल 148 सीटों की जरूरत है। भाजपा 96 से 105 सीटें जीतकर एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उभर सकती है। दूसरी ओर, वाम-कांग्रेस गठबंधन को 22 से 30 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। सर्वेक्षण एजेंसियों की मानें तो तृणमूल कांग्रेस को 36.50 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। वहीं, 32.64 प्रतिशत वोट भाजपा की झोली में जा सकते हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक, 9.93 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि वे किसको वोट देंगे। इस स्थिति में यह माना जा रहा है कि अगर 9.93 प्रतिशत मतदाता यदि तृणमूल की ओर झुकते हैं, तो तृणमूल को और अधिक सीटें मिलेगी। अगर भाजपा की ओर जाते हैं, तो भाजपा की किस्मत भी खुल सकती है। अगर इसका एक हिस्सा वामपंथी और कांग्रेस गठबंधन की ओर झुक जाता है, तो वाम-कांग्रेस गठबंधन की सीटें बढ़ जाएंगी।