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संरेडर करने वाले नक्सली नुनूचंद महतो ने गिरिडीह पुलिस के प्रेसवार्ता में कहा कि जीवन का भूल था नक्सली बनना

गिरिडीह समेत तीन थानों में दर्ज है 72 नक्सली केस, संगठन के साथियों से समाज से जुड़ने का किया अपील

एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने बुके देकर बढ़ाया हौसला, इनाम की राशि सौंपी गई माओवादी को

गिरिडीहः
आत्मसमर्पण के चार दिनों बाद मंगलवार को गिरिडीह पुलिस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर नुनूचंद महतो के साथ प्रेसवार्ता किया। वैसे चार दिनों की मेहनत का कोई खास रिजल्ट पुलिस को हासिल नहीं हुआ। क्योंकि पूछताछ में नुनूचंद से संगठन और संगठन के शीर्ष नेताओं को लेकर वैसी कोई जानकारी नहीं मिल पाई। खुखरा थाना क्षेत्र के भेलवाडीह गांव के बरहागढ़ी निवासी 48 वर्षीय नुनूचंद महतो का अपने गांव में सिर्फ एक ही नाम से जाना जाता है। लेकिन पूरे पीरटांड के इलाके में नक्सली संगठन का यह जोनल कमांडर नुनूचंद महतो के अलावे एक साथ कई नाम से चर्चित है। जिसमें नुनूलाल, टाईगर उर्फ गांधी और उर्फ नेताजी जैसे नाम शामिल है। इधर प्रेसवार्ता न्यू पुलिस में हुआ। जहां सब जोनल कमांडर नुनूचंद महतो के साथ एसपी अमित रेणु, प्रशिक्षु आईएएस पीयूष सिन्हा, डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मु, सीआरपीएफ सांतवी बटालियन के कमांडेट भारत भूषण जखमोला, कमांडेट अच्यूतानंद, सहायक कमांडेट मूलचंद और अपर पुलिस अधीक्षक गुलशन तिर्की भी थे। प्रेसवार्ता में एसपी तमाम अधिकारियों ने नक्सली नुनूचंद को बुके देकर उसका उत्साह बढ़ाया। तो उस पर तय की गई इनाम की राशि पांच लाख का चेक भी एसपी ने नुनूचंद को सौंपा।


वैसे नुनूचंद ने आत्मसमर्पण के दौरान पत्रकारों से कहा नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर उसे बेहद अच्छा लगा। लिहाजा, नुनूचंद ने संगठन के शीर्ष नेताओं से भी अपील किया कि हिंसा के रास्ते छोड़कर समाज के सभी वर्गो के बीच रहे। क्योंकि साल 2008 में ही उसने जीवन की बड़ी भूल दोहराते हुए गोंविद मांझी के कहने पर हार्डकोर माओवादी अजय महतो के दस्ते से जुड़ा था। जितने साल संगठन में रहकर उसने जीवन बर्बाद किया। उतने साल में उसके तीन बेटों-बेटियों ने सरकारी और गैर सरकारी स्कूल में शिक्षा हासिल कर अब एक आदर्श जीवन जी रहे है।
इधर प्रेसवार्ता के दौरान एसपी ने बताया कि नुनूचंद के आत्मसमर्पण में डुमरी एसडीपीओ मनोज कुमार, डुमरी सर्किल इन्सपेंक्टर आदिकांत महतो, पीरटांड थाना प्रभारी पवन कुमार और खुखरा थाना प्रभारी ने महत्पूर्ण भूमिका निभाया। एसपी ने बताया कि एक टीम वर्क के कारण नुनूचंद ने पीरटांड थाना में आत्मसमर्पण किया। लिहाजा, संरेडर कराने में भूमिका निभाने वाले अधिकारियों को भी रिवार्ड देने की अनुशंसा किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जोनल कमांडर नुनूचंद पर 72 से अधिक नक्सली केस दर्ज है। इसमें सबसे अधिक गिरिडीह के विभिन्न थानों में जहां 59 केस दर्ज है। जबकि बोकारो में चार तो धबनाद में नौ केस दर्ज है।


प्रेसवार्ता के दौरान एसपी ने बताया कि गिरिडीह में दर्ज 59 मामलों में प्रमुख केस साल 2010 में पीरटांड थाना के पूरनानगर और पांडेयडीह में सुरक्षा एजेंसी एसआईएस के वाहन को बम से उड़ाकर एजेंसी के पांच जवानों की हत्या, साल 2014 में सांई वर्धन के तीन शोधकर्ताओं का अपहरण और ढोलकट्टा के पारसनाथ पहाड़ में मुठभेड़ के दौरान बम विष्फोट कर सुरक्षा बल के जवान की हत्या करने समेत कई अन्य केस दर्ज है।

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