ममता बनर्जी ‘दीदी’ से ‘बेटी’ बन गयीं तृणमूल कांग्रेस के चुनावी नारे में
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘दीदी’ से अब ‘बेटी’ बनकर सामने आ रही हैं। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के एक नारे से ऐसा हुआ है। पार्टी का नारा ‘बांग्ला निजेर मेयेकेई चाए’ (बंगाल अपनी बेटी को ही चाहता है) सामने आया है। बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रचार में तृणमूल कांग्रेस का नया नारा यही होना है। इस नारे के जरिए सत्ताधारी दल ने इस बार परोक्ष तौर पर भाजपा को ‘बाहरी’ बताया है तो खुद को बंगाल का मौलिक बताया है।
पार्टी मुख्यालय तृणमूल भवन में शनिवार को डेरेक ओ ब्रायन, सुब्रत बक्सी, पार्थ चटर्जी और काकुली घोष दस्तीदार जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इस नारे को लांच किया गया। तृणमूल इससे पहले ‘दीदी के बोलो’ और ‘बांग्लार गर्व ममता’ जैसे नारे लगा चुकी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी अब अपनी हरेक सभा से भाजपा को ‘बाहरी’ करार देती आ रही हैं, जिसे बंगाल की संस्कृति की कोई समझ नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि ‘मेये’ शब्द का रणनीतिक महत्व है। तृणमूल को हमेशा महिलाओं का वोट मिलता आया है और वह मतदाताओं के इस वर्ग को मजबूती से अपने साथ रखना चाहती है इसलिए पार्टी ने ममता को मेये (लड़की) के रूप में प्रोजेक्ट करने का फैसला किया, जो कि उनकी ‘दीदी’ यानी बड़ी बहन की छवि से इतर है।
ममता के साथ जुड़ा ‘दीदी’ शब्द कमांडिंग और बल का प्रतीक है। ऐसे में पार्टी को लगा कि इस चुनाव में उनकी छवि में थोड़ा बदलाव किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि बंगाल में लगभग 3.4 करोड़ महिला मतदाता हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में इनमें से 87 प्रतिशत से अधिक ने अपना वोट डाला। 2009 के लोकसभा चुनाव और नंदीग्राम-सिंगुर आंदोलनों के बाद से महिला मतदाता काफी हद तक ममता के साथ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने भाजपा के पांच की तुलना में 17 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जो उनके कुल उम्मीदवारों का 41 प्रतिशत था। बंगाल में इन दिनों सभी सियासी दलों का चुनाव प्रचार जोरों पर है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं।