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रवींद्र सरोवर में छठ मनाने को लेकर एनजीटी सख्त

सरोवर में छठ पूजा पाबंदियों के साथ मनाने देने का अनुरोध खारिज

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार की एजेंसी कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण की रवींद्र सरोवर में छठ पूजा को पाबंदियों के साथ अनुमति देने के अनुरोध वाली अर्जी बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी ने खारिज कर दी। सरोवर के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए इस तरह के किसी भी अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगाने के अपने पूर्व के आदेश को एनजीटी ने बरकरार रखा है। कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण शहर के दक्षिणी हिस्से में स्थित 73 एकड़ क्षेत्र में फैली इस झील का संरक्षक है।

कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। राज्य के शहरी विकास विभाग के तहत आने वाली एजेंसी ने हाल ही में एनजीटी, पूर्वी क्षेत्र में अर्जी दायर की थी, जिसमें उसने लोगों की धार्मिक भावना को देखते हुए जलाशय में छठ पूजा करने की अनुमति मांगी थी। कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण ने अदालत के समक्ष यह भी दावा किया कि कानून और व्यवस्था की समस्या भी हो सकती है, क्योंकि पिछले साल हजारों श्रद्धालुओं ने विशाल झील के बंद फाटकों को तोड़ दिया था और एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पूजा की थी। लेकिन, न्यायमूर्ति एसपी वांगड़ी और दो विशेषज्ञ सदस्यों वाली एक पीठ ने याचिका खारिज कर दी। अदालत की पीठ ने कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि नवंबर में छठ पूजा के दिन झील के परिसर में किसी को भी अनुमति न देने के उसके पहले के आदेश को इस बार सख्ती से लागू किया जाये।

कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा हक वे अदालत के निर्णय का सम्मान करते हैं और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद अगला कदम उठायेंगे। शहरी विकास मंत्री फिरहद हकीम ने कहा कि एनजीटी के आदेश की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं। पर्यावरणविद सोमेंद्र नाथ घोष और सुमिता बंद्योपाध्याय ने एनजीटी के आदेश का स्वागत किया और सवाल किया कि कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण ने ऐसी अर्जी क्यों दायर की। वर्ष 2016 में एनजीटी ने छठ पूजा उस वर्ष के लिए कुछ नियमों के साथ झील में करने की अनुमति दी थी। हालांकि, वर्ष 2018 और 2019 में हजारों भक्तों ने जबरदस्ती झील क्षेत्र में प्रवेश किया था और छठ पूजा की थी। जबकि कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण के सीइओ अंतरा आचार्य ने कहा कि मामले में धार्मिक भावनाएं शामिल हैं और छठ पर कई महिलाएं और बच्चे एकत्र होते हैं, उन्हें झील परिसर में प्रवेश करने से रोकना आसान नहीं है।

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