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कोरोना योद्धा की तरह कार्य कर रहे दो चिकित्सकों को भूली प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं

फं्रट लाईन में रहकर लगातार मरीजों की सेवा कर रहें है डाॅ एलएन दस और डाॅ आशीष सिन्हा


गिरिडीह। कोरोना काल में कोरोना यौद्धा के रुप में कई समाजिक संस्थाओं को जिला प्रशासन ने सम्मानित किया। वहीं पुलिस कर्मियों पर शहर के लोगों ने फूल बरसाया। लेकिन लाॅकडाउन के बाद से ही कोरोना संक्रमितों को नवजीवन देने में दिन-रात एक करने वाले गिरिडीह के दो चिकित्सकों के योगदान को जहां एक ओर प्रशासन ने भी भूला दिया। वहीं समाजिक संस्थाएं भी इन दोनों चिकित्सकों को याद नहीं रख पाई। फिलहाल दोनों चिकित्सक सदर अस्पताल के डाॅ. एल. एन दास और डाॅ. आशीष मोहन सिन्हा आज भी मार्च महीनें के बाद से लगातार कोरोना योद्धा के रुप में कार्य कर रहे है। डाॅ. एल. एन दास और डाॅ. आशीष मोहन सिन्हा के योगदान को सिविल सर्जन डाॅ. अवद्येश सिन्हा भी मान रहे है, कि अगर ये दोनों चिकित्सक नहीं रहते तो शहरी क्षेत्र समेत ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना के संक्रमण को रोकना संभव नहीं था।

कोविड सेंटर में लगातार दे रहे है सेवा

कोरोना के खिलाफ बतौर एक योद्धा के रूप में इन दोनों चिकित्सकों ने फ्रंट लाईन में रहकर एक-एक संक्रमित को खोजा और कोविद-सेंटर में इलाज के लिए भर्ती कराया। यही नही इन दोनों चिकित्सकों को कई संक्रमितों को भर्ती करने के दौरान परेशानी भी उठाना पड़ा। इसके बाद भी दोनों चिकित्सक हार नहीं मानें और लाॅकडाउन से लेकर अब भी कोरोना योद्धा के रुप में संक्रमण के फैलाव को रोकने की दिशा में काम कर रहे है। स्थिति यह है कि सिविल सर्जन के एक काॅल पर दोनों चिकित्सक जिला मुख्यालय के कोविद-19 सेंटर में किसी संक्रमित का हालात खराब रहने पर देर रात उन्हें बचाने के प्रयास में जुट जाते है। लेकिन इन दोनों चिकित्सकों के इतने महत्पूर्ण भूमिका पर सामाजिक संस्थाएं तो सम्मानित करना भूली ही साथ ही प्रशासन भी इनके योगदान को भूल गया। हालांकि सम्मानित नहीं होने को लेकर इन चिकित्सकों को कोई मलाल नहीं है।

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