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पांच किमी नहर खोद बनाया कीर्तिमान

गया। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। किसी शायर द्वारा उक्त पंक्ति यों ही नहीं लिखी गई है। समय समय पर इस पंक्ति को कई लांेगों ने सिद्व किया है। बिहार के गया जिले के लोगों ने अपने हौंसलों के बल पर कई किर्तिमान स्थापित किये हैंे। कभी पर्वत पुरूष के नाम से प्रसिद्व दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीरकर राह भी बनाई थी। तो गया के ही शख्स ने पांच किमी लंबी नहर खोद कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।

आनंद महिन्द्रा देंगे ट्रैक्टर

गया जिले के इमामगंज और बांकेबाजार सीमा से सटे कोठिलवा गांव के रहने वाले लौंगी भूईयां अपने अनवरत 20 वर्षों के अथक प्रयास से पांच किमी लंबी, चार फीट चैड़ी व तीन फीट गहरी नहर को खोद दिया। उनके इस हौंसले को देखते हुए महिंद्रा समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आनंद महिंद्रा ने लांैगी भूईयां को ट्रैक्टर देने की बात कही है।

ऐसे खोदी नहर

लौंगी भुईंया के गांव में सिंचाई के साधनों की घोर समस्या थी। इसकी वजह से ग्रामीण अच्छी खेती नहीं कर पाते थे। यह बात उन्हें लगातार परेशान करती थी। वे अपने पशुओं को चराने जंगल जाया करते थे। वहां एक जलस्रोत था, जिसका पानी पशु पिया करते थे। एक दिन अचानक उनके दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न इस जल को गांव की खेतों में पहुंचाया जाए। लेकिन समस्या थी कि वे उस जलस्रोत को खेतों तक कैसे पहुंचाएं। फिर उनके दिमाग में नहर खोदने का विचार आया और अगले ही दिन से वे हाथों में कुदाल, फावड़ा लेकर निकल पड़े नहर खोदने।

लोगों ने उड़ाया मजाक

शुरूआती दिनों में लौंगी को नहर खोदते जिसने भी देखा उसने उनका मजाक उड़ाया। गांववाले तो उनको पागल तक बोलना शुरू कर दिये थे। हालांकि उनकी पत्नी रामरती देवी ने उनका भरपूर साथ दिया और कभी उनके कार्य के आड़े नहीं आई। लगातार 20 वर्षांे के अथक प्रयास से उन्होने वह कर दिखाया, जो अच्छे अच्छों के लिए नामुमकिन था। अब जब उनके गांव में नहर बन गई तो लोग उनका सम्मान करने लगे हैं। वहीं जलछाजन विभाग ने भी अब नहर पर मेड़ का निर्माण कर नहर का नामकरण लांैगी नहर कर दिया है।

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