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अपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाकर पूर्व महापौर ने गिरिडीह विधायक, सचिव समेत छह के खिलाफ कराया केस

विभागीय सचिव पर जातिसूचक अपशब्द इस्तेमाल कर धौंस दिखाने का लगाया आरोप

गिरिडीहः
पूर्व महापौर सुनील पासवान ने गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, नगर विकास सचिव विनय चाौबे, पूर्व एसडीएम विजया जाधव, सदर अचंलाधिकारी रवीन्द्र सिन्हा समेत झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य व झामुमो अध्यक्ष संजय सिंह, के खिलाफ अपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया है। पूर्व महापौर ने छह के खिलाफ गिरिडीह के एससी/एसटी थाना में केस दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया है। पूर्व महापौर द्वारा दिए गए आवेदन को लेकर बुधवार शाम तक महिला थाना प्रभारी हेमा कुमारी के नहीं रहने के कारण केस दर्ज नहीं हो पाया था। हालांकि पूर्व महापौर ने नगर विकास सचिव पर जातिसूचक अपशब्द इस्तेमाल कर धौंस देने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया है। एससी/एसटी सह महिला को दिए आवेदन में भुक्तभोगी पूर्व महापौर सुनील पासवान ने विधायक, सोनू, नगर विकास सचिव, पूर्व एसडीएम और सीओ समेत छह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अनुसूचित जाति से है। तत्कालीन रघुवर सरकार ने गिरिडीह के महापौर सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया था। इसी आधार पर वह चुनाव भी लड़े। लेकिन विधायक, सचिव और पूर्व एसडीएम समेत सीओ व झामुमो नेताओं ने चुनाव के दौरान दिए जाति प्रमाण पत्र पर ही सवाल उठा दिया। यही नही पूर्व एसडीएम विजया जाधव ने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के लिए गलत तरीके से छानबीन समिति के पास शिकायत दर्ज करा दिया। साथ ही मेरे उपर यह भी आरोप लगा दिया कि वे झारखंड के नहीं है। जबकि झारखंड का जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ही वे चुनाव लड़े और जीते थे।


पूर्व महापौर ने सीओ पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे अपना पक्ष रखे बिना सीओ ने प्रमाण पत्र को अपने स्तर से रद्द कर दिया। सीओ के रद्द किए जाने के आदेश के खिलाफ वे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुके थे। हाई कोर्ट में अब भी उनका मामला लंबित है। इस बीच झामुमो नेता सुप्रीयो भट्टाचार्य और झामुमो अध्यक्ष संजय सिंह ने उन्हें व्यक्तिगत रुप से प्रताड़ित करने के लिए चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराया। लेकिन चुनाव आयोग ने इस मामले में अपने अधिकार खत्म होने की बात करते हुए मामले को नगर विकास विभाग के पास भेज दिया। पूर्व महापौर ने नगर विकास विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब विभाग के पास किसी महापौर को पद से हटाने की नियमावली नहीं है। ऐसे में किस अधिकार के तहत विभागीय सचिव ने उन्हें पदमुक्त करने का पत्र जारी किया। लिहाजा, विभागीय सचिव के पत्र से उनके राजनीतिक गरिमा को जहां ठेस पहुंचा है। वहीं दुसरी तरफ व्यक्तिगत रुप से भी उनकी राजनीतिक छवि खराब हुई है। राजनीतिक छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए पूर्व महापौर ने विधायक, सचिव समेत छह के खिलाफ एससी/एसटी थाना में केस दर्ज कराया है।

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