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सहायक पुलिसकर्मियों की मांग पर निर्णय लेगी समिति

रांची। पिछले नौ दिनों से अपनी मांगों को लेकर मोहराबादी मैदान में डटे सहायक पुलिसकर्मियों के प्रति सरकार का रवैया कभी सख्त तो कभी नर्म दिखाई दे रहा है। दो दिन पूर्व सहायक पुलिसकर्मियों के उपर लाठीचार्ज के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले को संज्ञान में लिया है। मुख्यमंत्री ने सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों पर फैसला लेने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति को जिम्मा सौंपा है।

संविदा कर्मी के मामलों पर विचार के लिए बनाई गई है समिति

इस संबंध में मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आंदोलनरत पुलिस कर्मियों की मांगों को इस समिति में शामिल किया गया है। अब समिति की रिपोर्ट के बाद ही सहायक पुलिसकर्मियों को सुविधा उपलब्ध कराएगी। बताया गया कि कई विभागों में अनुंबध और संविदा पर कार्य कर रहे हजारों कर्मियों की सेवा सहित कई मामलों पर विचार करने के लिए बीते अगस्त माह को सरकार ने एक समिति गठित की है।यह समिति अनुबंध, संविदा कर्मियों की सेवा शर्तों में सुधार तथा नियमितीकरण के संबंध में उठाई जा रही मांग की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।

12 नक्सल प्रभावित जिलों में हुई थी सहायक पुलिस की नियुक्ति

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में कुल 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गयी थी। इनकी सेवा के लिए इन्हें हर महीने 10 हजार रुपये का मानदेय तय किया गया था। वहीं सरकार ने सहायक पुलिसकर्मी के पद पर बहाल हुए अभ्यर्थियों को तीन साल के बाद स्थायी करने की बात कही थी। लेकिन तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। स्थायीकरण सहित अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन पर हैं।

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