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नहाय खाय के साथ शुरू हुआ अभ्रकाँचल में छठ महापर्व

  • छठ घाटों का जिप अध्यक्ष ने किया निरीक्षण
  • आस्था और पवित्रता का प्रतिक है छठ महापर्व: शालिनी
  • सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार कर बढ़ाया लोगों का मनोबल

कोडरमा। लोक आस्था का महापर्व छठ की अभ्रकाँचल में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। घाटों की साफ-सफाई के अलावा जगह छेकने का दौर शुरू हो गया है। वहीं पूजा वाले घरों में नहाए खाए के साथ सुबह से ही महिलाएं जुटी हैं। जिले के बाहर रहने वाले लोग भी अपने-अपने घर को लौट चुके हैं। वही ट्रेनों में बुधवार को भी उतरने वालों की भीड़ देखी गई। इधर सरकार द्वारा नदी, तालाब, पोखर पर छठ पूजा की अनुमति दिए जाने के बाद व्रतियों, परिजनों और समाज में उत्साह का माहौल है। जिप अध्यक्ष शालिनी गुप्ता ने बुधवार को छठ घाटों का निरीक्षण किया और कहा कि झारखंड सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। जन भावनाओं के आगे सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार किया और लोगों के मनोबल को बढ़ाया। इससे वर्षों से चली आ रही घाटों पर अघ्र्य देने की परंपरा का पालन हो सकेगा।

सामाजिक संस्थाओं को भी सहयोग करने की जरूरत

उन्होंने यह भी कहा कि छठ घाट के लिए झुमरी तिलैया नगर परिषद, नगर पंचायत कोडरमा, डोमचांच नगर पंचायत तथा सभी प्रखंड में छठ घाटों की साफ-सफाई एवं रास्ते में जरूरत के अनुसार मोरम बिछाने का भी कार्य 24 घंटे में पूरा किया जाए। वहीं सामाजिक संस्थाओं को भी इसमें समितियों को सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि छठ मैया की पूजा में आस्था और पवित्रता दोनों ही रहती है। व्रती और संस्थाएं इसमें अपने अपने स्तर से कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि स्वच्छता का ख्याल का यह पर्व है ऐसा लोक पर्व है जिसमें उगते और डूबते सूर्य को बिना किसी आडंबर और दिखावा के विधिवत् आराधना की जाती है। छठ का प्रसाद बनाने में भी छोटे बड़े उपकरणों का प्रयोग वर्जित रहता है। मिट्टी के चूल्हे और लोहे के चूल्हे पर प्रसाद तैयार होता है। आम की सूखी लकड़ियां जलावन में प्रयोग होती है। वस्तुतः छठ सूर्य की ऊर्जा की महत्ता के साथ-साथ जल और जीवन की संवेदनशीलता के रिश्ते को संजोती है।

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