जैविक विधि से औषधीय पौधों की खेती को लेकर हुई कार्यशाला
- किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए किया गया प्रेरित
- औषधीय पौधों का व्यवसायिक खेती कर कमा सकते है अच्छा मुनाफा: अशुतोष
गिरिडीह। क्वालिटी कांउंसिल आॅफ इंडिया नई दिल्ली एवं नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, नई दिल्ली के सहयोग से रुद्रा फाउंडेशन द्वारा उत्सव उपवन होटल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में क्यूसीआई नई दिल्ली से आये श्री शिवेश शर्मा ने मुख्य रूप से जैविक विधि से औषधीय पौधों की खेती तकनीक विकसित करने हेतु चर्चा की एवं जैविक सर्टिफिकेशन के तरीकों पर भी विशेष चर्चा की गयी ।
नाबार्ड के जिला विकास प्रबन्धक आशुतोष प्रकाश ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यशाला के आयोजन से किसानों के बीच औषधीय पौधों हेतु जागरूकता बढ़ेगी और किसान इन औषधीय पौधों व्यवसायिक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं साथ ही उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि जो किसान जैविक विधि से औषधीय पौधों की खेती करने के इच्छुक हैं वो नाबार्ड के विभिन्न स्कीमों के माध्यम जुड़कर कार्य कर सकते हैं। कहा कि नाबार्ड इसमें उनकी हर सम्भव सहायता करने को तैयार है।
रुद्रा फाउंडेशन के सचिव सैयद सबीह अशरफ ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में औषधीय एवं सुगंध पौधों का इतिहास काफी पुराना रहा है, क्योंकि चिकित्सा एवं सुगंध हेतु इन पौधों का उपयोग होता रहा है। वर्तमान में जहाँ कृषक परंपरागत फसलों को छोड़कर औषधीय एवं सुगंध पौधों की खेती की ओर आकर्षित होने लगे हैं, वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त ऐसे युवक भी जो अभी तक खेती-किसानी के कार्य को केवल ‘कम पढ़े-लिखे लोगों का व्यवसाय’ मानते थे, औषधीय एवं सुगंध पौधों की खेती अपनाकर गौरवान्वित महसूस करने लगे हैं। कहा कि औषधीय एवं सुगंध पौधों की खेती कर किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सकते हैं क्योंकि भारत में औषधीय एवं सुगंध पौधों की खेती करने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं।
कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में गिरिडीह महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार वाष्र्णेय ने किसानों को कलिहारी एवं भृंगराज की खेती और उसके लाभ के बारे में किसानों को जानकारी दी तथा बताया कि ये दोनों औषधीय पौधे हमारे क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र हेतु सभी प्रकार से उपयुक्त है किसान इसकी खेती कर कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
कार्यशाला में गिरिडीह गांडेय के किसान उत्पादक कंपनियों से लखपत पंडित, दिनेश वर्मा, सत्येंद्र कुशवाहा, जितेंद्र कुमार, धीरज वर्मा, राजवंश सिंह, वजीर दास, संतोष वर्मा, राजेश वर्मा सहित 48 किसान शामिल थे। जिन्हें प्रशिक्षण के पश्चात सर्टिफिकेट भी दिया गया।