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झारखंड का पहला एआईएफ ऋण देने वाला जिला बना गिरिडीह

एआईएफ योजना के तहत स्मार्ट और परिशुद्ध खेती अवसंरचना के लिए सस्ते दर पर बैंक देती है लोन

गिरिडीह। कोविड महामारी एवं लाॅकडाउन में किसानों को भंडारण एवं मार्केटिंग संबंधी परेशानियों को झेलना पड़ा था। इस संबंध में भारत सरकार के तरफ से आत्मनिर्भर भारत पैकेज में एआईएफ यानि एग्रिकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर फंड (कृषि अवसंरचना निधि) योजना की घोषणा की गयी थी। गिरिडीह जिला इस योजना के अंतर्गत ऋण देने वाला झारखंड का पहला जिला बन गया है। राज्य का पहला ऋण बैंक ऑफ इंडिया, गिरिडीह शाखा द्वारा वितरित किया गया है। इसकी जानकारी योजना अंतर्गत जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के सचिव सह नाबार्ड जिला विकास प्रबन्धक आशुतोष प्रकाश ने देते हुए बताया कि योजना को धरातल पर उतारने में बैंक ऑफ इंडिया गिरिडीह शाखा के मुख्य प्रबंधक राजीव कुमार, बैंक ऑफ इंडिया क्षेत्र प्रबंधक रवीन्द्र कुमार सिंह एवं अग्रणी जिला प्रबंधक एचएन सिंह ने अहम भूमिका निभाई है।

सात आवेदन है लंबित

डीडीएम आशुतोष प्रकाश ने बताया कि अभी भी अलग-अलग बैंक शाखाओं में सात आवेदन लंबित हैं, जिन्हें जल्द से जल्द निपटाने की जरूरत है। एआईएफ योजना की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत पोस्ट हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, भंडारण एवं रख रखाव जैसे कोल्ड स्टोरेज, शीत गृह, गोदाम, साइलो, पैकहाउस, वेयरहाउस, फल पकाने का कक्ष आदि प्राथमिक प्रसंस्करण इकाई जैसे चावल मिल, पैकिंग, ग्रेडिंग आदि लॉजिस्टिक्स और मार्केटिंग (कोल्ड वेन, रीफर वेन), जैविक उत्पाद उत्पादन इकाई, स्मार्ट और परिशुद्ध खेती (प्रेसिसन फार्मिंग) अवसंरचना के लिए बैंक से सस्ते दर पर लोन लिया जा सकता है। इसके अलावा सामुदायिक कृषि परिसंपत्ति जैसे की कृषि उपकरण बैंक आदि के लिए बैंकों के माध्यम से सस्ते दरों पर ऋण की व्यवस्था की गयी है।

योजना का लाभ ले सकते है किसान समूह या सोसायटी

योजना का लाभ कृषि-उद्यमी, कृषि-स्टार्ट-अप, किसान, किसान समूह जैसे एसएचजी, जेएलजी, एफपीओ, पैक्स सहित अन्य सोसायटी ले सकते हैं। राज्य या केंद्र सरकार और उनकी एजेंसी प्रायोजित पीपीपी योजनाएँ जिनमे प्राइवेट पार्टी भी भागीदार हैं, उन योजनाओं को भी इसके अंदर लाभ दिया जा सकता है। इस योजना में 2 करोड़ रुपए तक के ऋण की गारंटी भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके अलावा ब्याज में 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान भी दिया जाएगा। योजना अंतर्गत परीयोजना लागत का 10ः लाभार्थी योगदान के साथ बैंकों के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।

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