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जब प्रदुषण बोर्ड का ही पता नहीं, तो गिरिडीह शहर में ध्वनि और वायु प्रदुषण के मानक कौन बताएं, पिछले एक साल में नहीं हो पाया जांच

मनोज कुमार पिंटूः गिरिरडीह
झारखंड में प्रदुषण बोर्ड है भी या नहीं। इसका कोई अता-पता नहीं। क्योंकि जब इसकी जरुरत होती है तो ना तो बोर्ड के पदाधिकारी ही दिखते है और ना ही कोई रीजनल स्तर के कर्मी। और दिखते है तभी जब पर्यावरण समिति का निरीक्षण गिरिडीह के औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाता है। पर्यावरण समिति के सदस्यों के साथ औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण कर प्रदुषण बोर्ड अब तक सिर्फ औपचारिकता ही पूरा करता रहा है। जबकि नियम के अनुसार हर तीन माह में प्रदुषण बोर्ड को प्रदुषण के मानकों की जांच कर लोगों को जागरुक करना भी जिम्मेवारी है। लेकिन जब पदाधिकारी नजर ही नहीं आते तो जागरुक करने की बात भी बेईमानी है। क्योंकि शहर के ध्वनि और वायु प्रदुषण के तहत एयर क्वालिटी इंडेक्स की जांच करना है। लेकिन बोर्ड और उसके अधिकारियों का इस और कभी ध्यान ही नहीं गया। जबकि कुछ दिनों पहले ही दीपावली का पर्व गुजरा है। इसके बाद भी प्रदुषण बोर्ड ने एक्यूआई मापना उचित नहीं समझा, कि दीपावली पर हुए आतिशबाजी के कारण शहर एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या रहा? वैसे प्रदुषण बोर्ड को हर तीन माह में हर शहर के एक्यूआई की जांच करना जरुरी होता है कि शहर में वायु और ध्वनि प्रदुषण का मानक कितना होना चाहिए। यही नही नियमत बोर्ड को यह भी मापना जरुरी होता है कि महत्पूर्ण स्थान धार्मिक स्थल, अस्पताल, नर्सिंग होम और सरकारी संस्थानो के आसपास ध्वनि और वायु प्रदुषण कितना है और कितना होना चाहिए। यही नही प्रदुषण बोर्ड को हर तीन माह में शहर के ध्वनि और वायु प्रदुषण की जांच कर लोगों को जागरुक करना भी उसके कार्य क्षेत्र के दायरे में है कि शहर में ध्वनि और वायु प्रदुषण कम है और काफी अधिक है। लेकिन बोर्ड के सूत्रों की मानें तो पिछले एक साल में प्रदुषण बोर्ड ने शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स को नहीं मापा है। और ना ही ध्वनि प्रदुषण की जांच ही बोर्ड कर पाया है। जाहिर है कि राज्य प्रदुषण बोर्ड और उसके पदाधिकारी इन मामलों में कितने गंभीर है। यह एक साल में अब तक बोर्ड के पदाधिकारी अब तक नहीं कर पाएं है।

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