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क्या पुराने नेताओं और कैडरो को दूर रख भाजपा की गिरिडीह कमेटी बरकरार रख पाएगी अपना दबदबा

महिला कमेटी के बाद अब नाराज कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा

अदंुरुनी कलह को खत्म करने के प्रति बड़े चेहरे नहीं दिख रहे गंभीर

गिरिडीहः
जिलाध्यक्ष महादेव दुबे के खिलाफ गिरिडीह के भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जिलाध्यक्ष के विरोध में पहले महिला कमेटी ने मोर्चा खोला और अदुंरुनी कलह को सार्वजनिक कर पार्टी का जमकर छीछालेदर किया। वहीं अब नई कमेटी के विरोध में समर्पित कैडरों जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल कर पार्टी के भीतर सुलग रहे आग को भड़का दिया। शनिवार को शहर के बोड़ो स्थित बहर्षि समाज के धर्मशाला में नाराज कैडरो ने बैठक किया। और जिलाध्यक्ष पर जमकर भड़ास निकाला। इस दौरान बैठक में पार्टी के नेता भागीरथ मंडल, जयमंगल राय, एंथोनी स्वामी, महिला कमेटी की नीतू शोला, प्रेमा तिवारी, वीणा देवी, बेबी कुमारी, सरिता शर्मा के अलावे राजेन्द्र राय, रंजन सिन्हा, अशोक यादव समेत कई कार्यकर्ता मौजूद थे। बैठक में मौजूद भागीरथ मंडल ने जिलाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नई कमेटी में वैसे लोगों को पद दिया गया है। जो कभी राजद और झामुमो नेताओं के साथ बैठा करते थे। इनके भरोषे जिलाध्यक्ष गिरिडीह में भाजपा का संचालन करने के प्रयास में है। भागीरथ मंडल ने इस दौरान जिलाध्यक्ष पर पैसे लेकर जिला कमेटी में पद बांटने का भी आरोप लगाया।
इस बीच बैठक में राजेन्द्र राय ने जिलाध्यक्ष को कड़े शब्दों में अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर जल्द ही जिला कमेटी में संशोधन नहीं किया गया। तो नाराज कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष के खिलाफ धरना देने के लिए मजबूर होगें। लेकिन जिलाध्यक्ष को मनमाने तरीके से पार्टी का संचालन करने नहीं दिया जाएगा। वैसे कैडरों का यह आरोप सही भी है। क्योंकि पिछले कई महीनों से पार्टी के गिरिडीह कमेटी ने कई पुराने चेहरों को पूरी भूला ही दिया है। बात पूर्व मंत्री चन्द्रमोहन प्रसाद की करें। तो नई कमेटी में उन्हें जगह तो दिया गया। लेकिन पार्टी के लगभग हर कार्यक्रम से पूर्व चन्द्रमोहन प्रसाद दूरी बनाकर रखते आएं है। जबकि पार्टी में पिछले कुछ महीनों में कई कार्यक्रम किए गए। लेकिन उनकी मौजदूगी कहीं नहीं दिखाी।
बहरहाल, विपक्ष की भूमिका में मौजूद गिरिडीह भाजपा के भीतर ही खुद के कलह की आग सुलगते-सुलगते अब सार्वजनिक हो चुका है। तो भाजपा जनसमस्याओं को लेकर क्या कर पाएगी, यह समझा जा सकता है। लेकिन हैरानी की बात तो यह भी है कि पार्टी के इस अदुंरुनी कलह को भाजपा के बड़े चेहरे भी खामोश हो कर सारा खेल देख रहे है। बगावत के इस आग पर पानी डाल कर शांत करने को लेकर ना तो कोडरमा की सांसद सह पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ही सामने आई। और ना ही विधायक दल के नेता बाबूलाल मंराडी समेत कोई पूर्व सांसद और पूर्व विधायक ही।

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