वामदलों ने मनाया संथाल हुल दिवस
महंगाई के खिलाफ निकाला प्रतिवाद मार्च
कोडरमा। वामदलों भाकपा, माकपा और माले ने बुधवार को मनाया हुल दिवस मनाया। इस दौरान डीजल पेट्रोल मे बेतहाशा मूल्य वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकाला गया। प्रतिवाद मार्च कोडरमा के पंजाब होटल के पास से हनुमान मंदिर, कोडरमा बाजार होते हुए गांधी चौक पहुंचा। जहां सिदो कान्हो अमर रहे, हुल दिवस जिन्दाबाद, मोदी सरकार पर हल्ला बोल, महंगाई पर रोक लगाओ, डीजल पेट्रोल का दाम कम करो, सरसों तेल का दाम 200 पार क्यों भाजपा सरकार जवाब दो, मोदी सरकार गद्दी छोड़ आदि नारे लगाए गये। मार्च का नेतृत्व सीपीआई के जिलामंत्री प्रकाश रजक, सीपीएम के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान, ज़िला सचिव असीम सरकार, माले ज़िला कमिटी सदस्य राजेन्द्र मेहता, तुलसी राणा, संदीप कुमार ने किया। गौरतलब है कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ़ वामदलों का देशव्यापी विरोध पखवाड़ा 16 जून से जारी है, जो बुधवार को हुल दिवस के साथ संपन्न हो गया।
संथाल क्रांति अंग्रेजों के खिलाफ पहली लड़ाई
इस अवसर पर सीपीएम नेता संजय पासवान की अध्यक्षता में हुई नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए वामदलों के नेताओं ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई के दौरान झारखंड के संथाल परगना के भोगनाडीह में हूल (क्रांति) के मौके पर अंग्रेजों के खिलाफ “करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो” पहला नारा था। भोगनाडीह गांव में चुनका मुर्मू के घर जन्मे चार भाइयों सिदो, कान्हो, चांद और भैरव ने साथ मिलकर 1853 से 1856 तक संथाल हूल अर्थात संथाल क्रांति नामक आंदोलन चलाया, जो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ झारखंड की धरती मे पहली लड़ाई थी। कहा कि आज देश मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का खामियाजा भुगत रहा है। डीजल पेट्रोल के दाम बेलगाम है और सेंचुरी पार कर गया है। कमरतोड़ महंगाई के चलते सरसों तेल का दाम डबल सेंचुरी लगा चुका है। हरी सब्जी से लेकर खाने पीने के सभी सामानों के दाम में आग लगी हुई है। उपर से लोगों को काम नहीं मिल रहा है। नौकरियां छीनी जा रही है, आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। दूसरी तरफ भाजपा सरकार की कॉरपोरेट परस्त नीतियों के चलते अमीर अमीर हो रहा है और गरीब गरीब हो रहा है। इसके खिलाफ आम लोगों को आवाज़ उठाना होगा।
इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में माकपा के महेन्द्र तुरी, दिनेश रविदास, रामचन्द्र राम, अशोक रजक, रोहित रविदास, वंशी दास, शुभ्रोज्योति सरकार, रोहित कुमार रजक, वासुदेव साव, रविशंकर दास, भाकपा के कामेश्वर राणा, रामेश्वर यादव, लखन पासवान, भोला पासवान, दिलीप राणा, भुनेश्वर राणा, बबलू दास, उमेश दास, रहमत आलम, कय्युम अंसारी, माले के कृष्णकांत मेहता सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे।