लैब आॅन बाईक प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रयोग कर गिरिडीह के सरकारी स्कूल छात्र-छात्राएं समझ रहे जीवविज्ञान और विज्ञान के पहलु
प्रयोग के सारे समान बाईक पर लादकर प्रोजेक्ट प्रभारी पहुंचते है स्कूल
गिरिडीह सदर प्रखंड के आठ स्कूलों में संचालित है राज्य सरकार की योजना
मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीहः
लैब और प्रयोगशाला एक ही शब्द है। बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के शोधस्थल का स्वरुप है प्रयोगशाला। जहां वैज्ञानिक जनहित में शोध कर कई अविष्कार करते है। वहीं गिरिडीह के सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राएं भी अब प्रेक्टिकल शोध अर्थात, विज्ञान को व्यावहरिक तौर पर कर विज्ञान से जुड़ने का प्रयास कर रहे है। जीवविज्ञान और विज्ञान से जोड़ने का छात्रों के सपनों को राज्य सरकार का लैब आॅन बाईक पूरा करने में काफी हद तक सहयोग कर रहा है। सरल भाषा में कहें तो चलंत प्रयोगशाला। एक बाईक पर लैब के सारे समान रखकर लैब आॅन बाईक उन स्कूलों के छात्रों तक पहुंचता है। जहां के छात्रों में जीवविज्ञान, विज्ञान को लेकर खास दिलचस्पी दिख रही है। जाहिर है कि जब छात्रों को आसान तरीके से केमिकल ईजाद करने से लेकर पशु-पक्षियों के जीवनशैली को समझने का भरपूर मौका मिले, तो वो क्यों चूकें। उदाहरणस्वरुप मुंह से बैलून में हवा कैसे भरता है, लाईट कटने के बाद इमरजेंसी लाईट किस प्रकार होती है। और ठंड में पक्षी खुद में अपने को कैसे ढालते है विज्ञान के इन सवालों को ही प्रेक्टिल तौर पर कर छात्र समझ रहे है।
तीन सालों से गिरिडीह सदर प्रखंड के करीब आठ स्कूलों में संचालित प्रोजेक्ट को लेकर प्रोजेक्ट प्रभारी गुलाम सरवर की भूमिका बेहद महत्पूर्ण माना जाता है। क्योंकि गुलाम सरवर ही वह कड़ी है जो लैब आॅन बाईक का संचालन कर आठ स्कूलों के कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को विज्ञान की दुनिया से रुबरु करा रहे है। हालांकि इस साल कोरोना के कारण लाॅकडाउन ने लैब आॅन बाईक करीब आठ माह से बंद है। लेकिन लैब आॅन बाईक प्रोजेक्ट को छात्रों के बीच चला रहे गुलाम सरवर की मानें तो जिस विज्ञान से सरकारी स्कूल के बच्चें पहले दूर भागते थे। वहीं अब बच्चें कई प्रकार का शोध कर रहे है। सरकार के अधीन चलने वाले मध्य विद्यालय के साथ उत्क्रमित मध्य विद्यालय और उत्क्रमित उच्च विद्यालय के कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राएं इस प्रोजेक्ट के प्रति रुचि दिखा रहे है।
प्रोजेक्ट प्रभारी गुलाम सरवर की मानें तो लैब आॅन बाईक में वो एक बाईक में लैब से जुड़े हर समानों को लोड कर स्कूलों तक पहुंचते है। जहां बच्चों को पहले वह खुद जीवविज्ञान और विज्ञान के पहलुओं पर शोध कर दिखाते है। इस दौरान जिन छात्रों को प्रयोग समझ में आता है। वैसे छात्र प्रोजेक्ट प्रभारी और स्कूल के हेडमास्टर के मौजदूगी में कक्षा के छात्रों के बीच प्रायोगिक करते है। गुलाम सरवर के अनुसार राज्य सरकार के निर्देश पर गिरिडीह सदर प्रखंड के आठ स्कूलों में यह प्रोजेक्ट चल रहा है। जिसमें मध्य विद्यालय बदडीहा, मध्य विद्यालय चुंगलो, उत्क्रमित हाई स्कूल पूरना नगर समेत कई स्कूल है। जहां के छात्रों ने लैब आॅन बाईक को लेकर रुचि दिखाया है। यही नही बदडीहा स्कूल के हेडमास्टर दीपक कुमार और सांईस शिक्षिका स्वेता कुमारी भी इस प्रोजेक्ट के प्रति बच्चों में जिज्ञासा पैदा कर रही है। गुलाम सरवर ने यह भी बताया कि कक्षा छह से आठ तक छात्रों को उनके सिलेबस के पाठ्यक्रम पर आधारित विषय पर प्रयोग कर समझाया जाता है।