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बीमा कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

  • सरकार के जन विरोधी नीतियों का किया विरोध

कोडरमा। अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के तत्वाधान में बीमा कर्मचारी संघ हजारीबाग मण्डल की झुमरीतिलैया इकाई ने देश भर के 10 लाख बैंक अधिकारी एवं कर्मचारियों के संगठन के अहवान पर 16 एवं 17 दिसंबर को सरकारी उपक्रम के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण और बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल के विरोध में तथा सरकारी बैंकों के मजबूतीकरण के न्यायोचित मांगों के आलोक में आहूत हड़ताल का पूर्णतः समर्थन करते हुए भोजनावकाश के दौरान द्वार प्रदर्शन कर सरकार के जन विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया।

बीमा कर्मचारी संघ, झुमरी तिलैया के सचिव मनोरंजन कुमार ने कहा कि सरकारी उपक्रम के बैंक भारत की अर्थ व्यवस्था की जीवन रेखा हैं। 1969 में बैंकों के राष्ट्रीय करण के समय से ही और तदनुपरांत 1980 से आजतक इन तमाम राष्ट्रीय कृत बैंकों ने बहुत ही शानदार और अद्वितीय उन्नति की है। कुल जमा, जो सरकारी बैंकों में 1969 में सिर्फ 5000 करोड़ रुपए था वह 2021 के आंकड़ों के अनुसार बढ़ कर 157 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। सरकारी बैंकों की बैंक शाखाओं की संख्या में इस अवधि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, यह संख्या देश की सुदूर और पर-पहुँच योग्य क्षेत्रों मे भी दर्ज की गयी जहां सिर्फ और सिर्फ भारत की सरकारी बैंकों का ही योगदान हासिल है।

कहा कि 1969 मे सरकारी बैंक शाखाओं की संख्या जो केवल 8000 हुआ करती थी। वहीं आज 2021 के आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर यह संख्या 1,18,000 हो चुकी है। भारत की अर्थ व्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र जैसे कृषि, ग्रामीण विकास, लघु एवं मध्यम उदद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना इत्यादि देश की सरकारी बैंकों से काफी लाभान्वित हुए हैं। सरकारी बैंकों का निजीकरन केवल देश के विकास के प्रति विरोधात्मक कदम ही नहीं है बल्कि यह देश के आमजनों के बहुमूल्य और शुद्ध ईमानदार बचतों को, जो बहुत मेहनत से कमाए गए हैं, निजी कॉर्पाेरेट क्षेत्र के हाथों सौंप देने जैसा भी है।

सभा की अध्यक्षता महावीर यादव ने की। मौके पर सुनील कुमार, श्रीकांत, अलीशा, संजय सिंह, अजय सिंह, श्रेया, राजेन्द्र प्रसाद, राम कुमार, पंकज, टिंकु, स्वेता, सुधीर कुमार, स्नेहा, कृष्णा कुमार, कृष्णम, कुमार अशोक आदि उपस्थित थे।

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