कविगुरु रवींद्र नाथ टैगोर के दर्शन को संरक्षित रखने की जरूरत : ममता
विश्वभारती के शताब्दी समारोह में थीं आमंत्रित, मगर नहीं शामिल हो सकीं ममता बनर्जी
कोलकाता। विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से गुरुवार को अपील की है कि वे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कविगुरु रवींद्र नाथ टैगोर की सोच और उनके दर्शन को संरक्षित रखें। टैगोर ने बंगाल के बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय की 1921 में स्थापना की थी। संसद के एक कानून के बाद इस संस्थान को 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है कि विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना को 100 साल पूरे हो गए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का यह मंदिर समाज को आदर्श मनुष्य देने के लिए रवींद्र नाथ टैगोर का सबसे बड़ा प्रयोग था। हमें इस महान दूरदर्शी की सोच और दर्शन को संरक्षित रखना चाहिए। मालूम हो कि विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। वहीं, ममता के समारोह में शामिल नहीं होने को लेकर भाजपा ने इस पर सवाल भी उठाए हैं।
दरअसल विश्वविद्यालय की कुलपति की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन ममता ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बंगाल स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी कार्यक्रम में कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का विजन ही आत्मनिर्भर भारत का सार है। आजादी के आंदोलन में विश्वभारती का योगदान है, जिसने हमेशा राष्ट्रवाद की प्रेरणा दी। वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद में मुखर थी।