हिन्दुओं को लुभाने का आखिरी मौका साधेगी ममता सरकार
14 जनवरी को गंगासागर मेले की तैयारी में जुटी पश्चिम बंगाल सरकार
पश्चिम बंगाल में चारों ओर से चुनौतियां झेल रही ममता बनर्जी सरकार अब लोगों को लुभाने के कोई मौके खोना नहीं चाहती। ऐसा करने पर ही ममता सरकार विधानसभा चुनाव में वैतरणी पार कर सकती है। ऐसे में अब सरकार गंगासागर में तीर्थयात्रियों को वैतरणी पार कराने में भी पीछे नहीं रहना चाहती। चुनाव से पहले ममता सरकार के लिए यह हिन्दू मतदाताओं को लुभाने का भी आखिरी मौका होगा।
दरअसल, हिंदुओं की आस्था का महापर्व मकर संक्रांति नजदीक है। ममता सरकार कोरोना महामारी के बावजूद गंगासागर में हर साल की तरह इस बार भी मेले का आयोजन करने का निर्णय ले चुकी है। ममता सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह अंतिम बड़ा आयोजन होने जा रहा है। बंगाल में भाजपा शुरू से ही ममता सरकार पर अल्पसंख्यकों को तुष्ट करने का आरोप लगाती आयी है। ऐसे में हिंदुओं के इस महापर्व का कोरोना काल में सफलतापूर्वक आयोजन कराना ममता सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।
गंगासागर मेले में पश्चिम बंगाल समेत देश-दुनिया के कोने-कोने से भी बड़ी तादाद में हिंदू आते हैं। वैसे, कोरोना के कारण इस साल गंगासागर में पुण्य स्नान करने पिछले वर्षों की तुलना में कम तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है, लेकिन सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी इसलिए पिछले साल के मध्य में कोरोना के भीषण प्रकोप के बीच ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई थीं, जो अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। अगले कुछ दिनों में ममता सरकार के आधे दर्जन मंत्री भी यहां आकर मोर्चा संभाल लेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों के वोट पर निर्भर करने वाली ममता सरकार के पास विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू मतदाताओं को लुभाने का यह आखिरी मौका है इसलिए वह गंगासागर मेले से चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है। गंगासागर में इस समय जो बैनर लगाए गए हैं, उनमें ममता सरकार की उपलब्धियों का जमकर बखान किया गया है। गंगासागर मेले के कुछ दिन बाद ही बंगाल में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है, ऐसे में ममता सरकार मोक्ष की कामना लिए गंगासागर आने वालों को कोरोना काल में भी बेहतर से बेहतर सुविधाएं प्रदान करना चाहती है ताकि चुनावी वैतरणी पार करने में उसे आसानी हो।