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लोगों के आस्था का केन्द्र है तिसरी प्रखंड स्थित कबूतरी पहाड़ी मंदिर

  • श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की पूर्ण होती है मनोकामना
  • मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव

रंजन बरनवाल
गिरिडीह। तिसरी प्रखंड के दक्षिणी छोर पर प्रखंड से 10 किलोमीटर दूर स्थित जंगल में 40 फिट ऊंचाई में महादेव मंदिर है जिसको कबूतरी पहाड़ी मंदिर कहा जाता है। बात करें तो झुमरखेलवा की ओर से कबूतरी पहाड़ की दूरी लगभग दो किलोमीटर होगी। बीच में दो नदी भी है। झुमरखेलवा से कबूतरी पहाड़ तक रोड व नदी में पुल बन जाने से श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होगी और दूरी भी काम हो जायेगी। आज भी पगडंडी के सहारे लोग पूजा करने जाते हैं। हालांकि कुछ दूर तक कच्चा रास्ता बना हुआ है। यंहा श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती है।

भंडारी के नव निर्वाचित मुखिया पिंकेश सिंह ने कहा की कबूतरी-गिरिनाथधाम में झारखंड से दूर दूर इलाके से लोग पूजा अर्चना करने प्रत्येक महीने के पूर्णिमा तिथि को विशेष रूप से पहुंचते हैं। लेकिन देखा जाए तो यहां सुविधाओं का घोर अभाव है जिससे आने जाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है उसके बावजूद भी श्रद्धालु पगडंडी के सहारे आतें जातें है। यहां पे महिलाओं के लिए स्नान घर और बना कुआं का रिपेयरिंग की बहुत जरूरत है जो मैं अपने माध्यम से जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करूंगा।

बताते चलें कि गिरिडीह जिला के तिसरी प्रखंड मुख्यालय से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित झुमरखेलवा पहाड़ है। जिसके बारे में जानकार बताते हैं कि आदिकाल में कभी इस विशाल पर्वत पर नृत्य किया था। जिसके फलस्वरूप इन पर्वतों में जगह-जगह पदचिह्न अंकित है जो देखने लायक है। इस पहाड़ी में चारों तरफ पत्थरों पर छोटे-बड़े पैर के निशान हैं। जिसे देखने लोग दूर-दूर से लोग आते हैं। लोगों का मानना है कि देवी, देवता इस पहाड़ पर झूमर खेला करते थे जिसके कारण ही इस पहाड़ी का नाम झुमर खेलवा पहाड़ी पड़ा है। लोग यह भी मानते हैं कि झुमरखेलवा पहाड़ी से करीब एक किलोमीटर दूर पूरब दिशा के पहाड़ी गुफा में एक साधु लगातार जाप किया करते थे। उन्होंने ही आज से करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व एक शिवलिंग की स्थापना की थी वह शिवलिंग आज भी मौजूद है। उसी बाबा के पास लोग पहुंच कर पूजा-अर्चना एवं मन्नतें मांगते हैं। श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती है।

इस शिवलिंग वाली पहाड़ी में पूर्व में ढेर सारे कबूतर रहा करते थे। जिसके कारण लोग इस जगह को कबूतरी-गिरिनाथ धाम के नाम से जानते हैं। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त आते हैं एवं कबूतरी गिरिनाथ धाम में माथा टेकते हैं। लोगों का मानना है कि कबूतरी पहाड़ी के गुफा में स्थित बाबा में असीम शक्ति है। जो भक्त सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं उनकी मुरादें अवश्य पूरी होती है। अब तो लोग यहां बाबा को साक्षी मान कर शादी-विवाह भी करने लगे हैं। इस धाम में श्रावण एवं कार्तिक पूर्णिमा में साक्षात नाग देवता दर्शन देते हैं जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

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