किसानों का साथ देने के लिए सौ मुकदमा भी होगा तो गम नहीं: शर्मा
- मशाल जुलूस का नेतृत्व करने वालों पर हुए मुकदमे पर आप के प्रदेश प्रवक्ता ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
- कहा कोरोना गाइडलाइन को आधार बनाकर जनआंदोलन को रोकना चाहती है सरकार
गिरिडीह। किसानों के द्वारा सोमवार को आहूत भारत बंद के समर्थन में पूर्व संध्या पर मशाल जुलूस निकाले जाने को लेकर कई दलों के नेताओं पर हुए एफआईआर पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण मुरारी शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसानों का साथ देने के लिए एक नहीं सौ मुकदमा भी होगा तो गम नहीं है। पिछले दस महिनों से किसान धूप, ठंढ और बरसात झेल रहे हैं लेकिन भारत सरकार हिटलरशाही रवैया अपनाए हुए है यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
कहा कि तीनों कृषि कानून देश की जनता के लिए ख़तरनाक है। कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव हुआ वहाँ चुनावी रैली और जुलूस निकाला गया कितने लोगों पर एफआईआर हुआ? उत्तर प्रदेश में अभी पंचायत चुनाव हुआ, बिहार में पंचायत चुनाव चल रहा है। रोज सड़क पर रैली जुलूस निकल रहा है कितने एफआईआर हुए? सारे प्रतिष्ठान खोल दिए वहाँ कोरोना नहीं है?
उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन नहीं हो सकता, लेकिन चुनावी रैली हो सकती है। उसमें लाखों लोग शामिल हो सकते हैं। कहा कि आपदा प्रबंधन कानून और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन को हथियार बनाकर जन आन्दोलन को सरकार रोकना चाहती है। लेकिन जन आन्दोलन रूकने वाला नहीं है। देश के धरतीपुत्र किसानों ने यह साबित करके दिखा दिया।
कहा कि वे आम आदमी पार्टी का जिला अध्यक्ष नहीं बल्कि प्रदेश प्रवक्ता के पद पर है और हर्ष के साथ इस बात को स्वीकार करते है कि वे किसान आन्दोलन के समर्थन में मशाल जुलूस की अगुवाई कर रहे थे। कहा कि उनके उपर हुए एफआईआर का वे स्वागत करते है। लेकिन आज के बाद ये तय हो जाना चाहिए कि जो जो नेता रैली जुलूस में रहेंगे उन सबको नामजद अभियुक्त बनाया जाना चाहिए।