गिरिडीहवासियों के लिए बायपास निर्माण प्रोजेक्ट बना सपना, प्रोजेक्ट के लिए नहीं मिला फंड
सात साल पहले बायपास के लिए बना था पौने तीन सौ करोड़ का प्रोजेक्ट
पुराने सर्वे में 34 मौजों की जमीन का किया गया था सर्वे, एडीबी बैंक के सहयोग से होना कार्य
गिरिडीह। गिरिडीह शहर का बायपास प्रोजेक्ट एक बार फिर फंड की कमी के कारण सपना बनकर रह गया है। जबकि इस प्रोजेक्ट को लेकर हाल के दिनों में राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया में वाह-वाही लूटने का पूरा प्रयास किया। सोशल मीडिया में केन्द्रीय मंत्री के आदेश का हवाला देकर दल के नेताओं ने वाह-वाही लूटने का प्रयास किया। अब इस प्रोजेक्ट को लेकर 24 जेट न्यूज ने पुख्ता जांच पड़ताल किया। तो सामने आया कि साल 2013 का बायपास रोड निर्माण प्रोजेक्ट फिलहाल फंड की कमी के कारण रूक चुका है। वैसे डीसी राहुल सिन्हा भी इस बात को मानते है कि जिस प्रकार फंड आना था, वह आया नहीं। प्रशासन की जिम्मेवारी बस इतनी थी कि फंड मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण का काम किया जाता। लेकिन जब फंड आया ही नही तो प्रोजेक्ट का कार्य शुरु कैसे होगा।
अब नए सिरे से सर्वे के लिए एजेंसी का होगा चयन
पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता जयकांत राम का भी कहना है कि बायपास निर्माण अब किस स्तर पर किया जाना है। इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। लेकिन अब फिर से पहले सर्वे किया जाएगा। इसके लिए कंस्लटेंसी एजेंसी का चयन किया जाएगा। पथ प्रमंडल सूत्रों की मानें तो नया सर्वे कर नए सिरे से डीपीआार तैयार करेंगी। इस प्रकिया की कीमत ही करीब दो से ढाई सो करोड़ जा सकती है। कार्यपालक अभियंता ने यह भी बताया कि अभी तो कंस्लटेंसी एजेंसी का चयन ही नहीं हो पाया है। एजेंसी का चयन होने के बाद प्रोजेक्ट का कार्य आगे बढ़ सकता है। अब नए सिरे से होने वाले सर्वे के अनुसार बायपास को किन-किन रुटों से लिया जाएगा, यह भी स्पष्ट नहीं है। वैसे नियम के अनुसार शहर के हिस्सें को छोड़कर ही बायपास का निर्माण किया जाना है। कार्यपालक अभियंता जयकांत राम के अनुसार सर्वे के बाद ही यह तय होगा कि प्रोजेक्ट को स्टेट हाईवे को सौंपा जाएगा या नेशनल हाईवे को।
जमीन अधिग्रहण के लिए जरुरत था 150 करोड़, मिला सिर्फ 19 करोड़
बतातें चले कि साल 2013 के इस प्रोजेक्ट को एशियाई डेवलमेंट बैंक के वित्तीय सहयोग से पूरे प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था। उस वक्त एडीबी ने 19 करोड़ का वित्तीय मदद किया था। फिलहाल 19 करोड़ का फंड अब भी जिला-भूअर्जन कार्यालय में जमा होने की बात सामने आई है। जानकारी के अनुसार बायपास के सर्वे के दौरान इसकी शुरुआत रुट गिरिडीह-धनबाद रोड के चतरो से किया जाना था। जो गिरिडीह-मधुपूर रोड के सोनबाद रुट से मिलाना था। सात साल पहले के इस प्रोजेक्ट में 34 मौजा की जमीन को चिन्हित कर लिया गया था। इसमें अधिकांश भूखंड गैरमजरुआ प्लाॅट के रुप में अधिग्रहण किए जाने थे। जबकि अन्य प्लाॅट के रुप में रैयतदारों को भुगतान के लिए ही 19 करोड़ का फंड दिया गया था। हालांकि जमीन अधिग्रहण के लिए 150 करोड़ की जरुरत थी। लेकिन शेष राशि पूर्व के कई डीसी द्वारा पत्राचार किए जाने के बाद भी नहीं मिला। जानकारी के अनुसार बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट को पूरा करने की लागत करीब पौने तीन सौ करोड़ तय किया गया था। लेकिन अफसोस इस बात को लेकर रहा कि जब सर्वे के बाद जमीन अधिग्रहण का फंड ही नहीं मिला, तो प्रोजेक्ट पूरा किस प्रकार किया जाता।