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निर्दलीय चुनाव की घोषणा ने गिरिडीह भाजपा व झामुमो के दावेदारों को दिया जोर का झटका, तो कांग्रेस इत्मीनान

एकमात्र आजसू सांसद के बाद भी जनाधार ऐसा नहीं की अकेले लड़ सके चुनाव

मनोज कुमार पिंटूः गिरिडीह
गिरिडीह नगर निगम के महापौर और धनवार के बड़की सरिया नगर पंचायत चुनाव की सारी तैयारी पूरे होने का दावा निर्वाचन कार्यालय कर रही है। तो इन चुनावों को लेकर 31 अगस्त को चुनाव आयोग के अधिकारियों का गिरिडीह दौरा होना है। इस बीच हेमंत सरकार द्वारा महापौर और अध्यक्ष पद के चुनाव को निर्दलीय आधार पर कराने की घोषणा ने कई दलों के संभावित दावेदारों को जोर का झटका दिया है। जबकि महापौर की दावेदारी को लेकर झामुमो और भाजपा समेत कांग्रेस के कई नेता अपनी दावेदारी की जोर.आजमाईश में थे। लेकिन घोषणा ने इन दावेदारों को झटका दिया है तो झामुमो और भाजपा की परेशानी को बढ़ा दिया है। क्योंकि निर्दलीय चुनाव की घोसणा के बाद भी माना जा रहा है कि भाजपाए झामुमोए कांग्रेस के कई दावेदार चुनाव लड़ सकते है। वैसे आजसू भी महापौर के लिए प्रत्याशी उतारने के मूड में थी। यह अलग बात है कि गिरिडीह नगर निगम इलाके में आजसू का कोई खास जनाधार नहीं है।


आजसू से गिरिडीह के इकलौता सांसद चन्द्रप्रकाश चाौधरी के होने के बाद भी आजसू जनाधार बनाने के जुगाड़ में अब तक जुटी हुई है। इसमें अब तक आजसू को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है जिसे आजसू किसी चुनाव जीतने का दावा कर सके। इसके पीछे भी वजह रही कि सांसद चाौधरी का अक्सर अपने संसदीय क्षेत्र से गायब रहना। इसे सबसे अधिक नाराजगी भाजपा के वोटरों में अब भी दिख रहा है। वैसे आजसू से महापौर के दावेदारी को लेकर पार्टी के केन्द्रीय नेता अर्जुन बैठा का नाम आगे था। खुद आजसू के अध्यक्ष गुड्डु यादव भी अर्जुन बैठा का नाम पार्टी के केन्द्रीय नेत्तृव के पास चर्चा कर चुके थे। इधर घोषणा से पहले भाजपाए कांग्रेस और झामुमो से संभावित जिन दावेदारों के नाम की चर्चा चुनाव लड़ने को लेकर था। उसमें भाजपा से प्रकाश दास, दारा हाजरा और डा, शैलेन्द्र चाौधरी शामिल थे। तो झामुमो से दिलीप रजक, प्रमिला मेहरा और कुमार गौरव के नाम की चर्चा थी। जबकि कांग्रेस से डा समीर राज चाौधरी का नाम सामने आ रहा था।


वैसे हकीकत यह भी है कि निर्दलीय आधार पर चुनाव की घोषणा होने से कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं है। क्योंकि डा. समीर राज चाौधरी के बाद पार्टी में कोई और चेहरा नहीं है। लिहाजा, निर्दलीय चुनाव लड़ने पर डा. समीर राज को पार्टी द्वारा समर्थन मिलना तय माना जा रहा है। क्योंकि पिछले चुनाव में भी समीर राज चाौधरी चुनाव लड़ चुके थे। लेकिन निर्दलीय चुनाव की घोषणा ने झामुमो और भाजपा का परेशानी जरुर बढ़ा दिया है। क्योंकि इन दोनों दलों में जितने दावेदार पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाएं हुए थे। वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते है। लिहाजा, ऐसा होने पर दोनों ही दल व उनके नेताओं के लिए भी अपने चहेते को समर्थन देना मुश्किल हो जाएगा।

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