चातुर्मास कलश की स्थापना, समाज में धर्म और ज्ञान की बहेगी धारा
कोडरमा। श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के सरस्वती भवन में सोमवार को वात्सल्य मूर्ति परम विदुषी 105 सौभाग्यमति माताजी ससंघ के चातुर्मास कलश की स्थापना की गई। समाज के अध्यक्ष, मंत्री, सभी पदाधिकारी और संपूर्ण समाज के महिला पुरुष व बच्चों ने गुरु मां की चरणों में श्रीफल अर्पित किया। वहीं झुमरीतिलैया में ही चतुर्मास वर्षायोग करने की अनुमोदना, प्रार्थना की। इस दौरान वात्सल्य मूर्ति 105 परम विदुषी सौभाग्यमति माताजी के द्वारा चातुर्मास करने की स्वीकृति प्रदान की गई। जिससे समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। गौरतलब है की जैन धर्म में प्रतिवर्ष बरसात के चार महीनों में पूरे भारतवर्ष में चातुर्मास होता है। जैन साधु, साध्वी इन दिनों में एक ही स्थान पर विराजमान रहते हैं। उनका कहीं भी आना जाना नहीं होता हैं। अपना आत्म कल्याण करते हैं और लोगों के बीच धर्म के मार्ग को प्रकाशित करते हैं।
संयम की साधना करते हुए सभी का चरित्र निखारेंगी
वात्सल्य मूर्ति 105 सौभाग्य मति माताजी ने कहा कि जैन समाज झुमरीतिलैया की भावनाओं का मैं सम्मान करती हूं। यहां के लोग धर्म प्रिय है,संत प्रिय है। जहां साधु श्रावक का मेल होता है वही वर्षा योग होता है। चार महीने के इस वर्षा योग में वे संयम की साधना करेंगी और सभी के चरित्र को निखारंेगी। उन्होंने कहा कि चातुर्मास के इन दिनों में जीवन की शैली को किस तरह व्यवस्थित करें यह बताया जाएगा। कहा कि यह मनुष्य जीवन बड़ा ही अनमोल है। आपका आचार, विचार, आहार और बिहार कैसा होना चाहिए इस बात का ज्ञान होना चाहिए। वे सभी के बीच ज्ञान की नदी बन कर आई हैं। धर्म की प्यास जिन्हें बुझाना है वह इसमें डुबकी लगा सकता है। वे भटके हुए लोगों के घर के दरवाजे को खटखटाने आई हैं। मानवता और नैतिकता का पाठ पढ़ाने आई हैं। आइए धर्म की गंगा में नहाईए, और अपने मनुष्य जीवन को चरितार्थ कीजिए। आज हर व्यक्ति का जीवन दुखी है मानसिक परेशानी में है। लोग अपने धर्म और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं प्राकृतिक आपदा और कोरोना जैसी महामारी ने बेचैन कर दिया है। ऐसे में धर्म ही एक सहारा है, भगवान महावीर के सिद्धांत ही इन समस्याओं से छुटकारा दिला सकते है। आप सभी लोग बड़े भाग्यशाली हैं जो विश्व प्रसिद्ध पारसनाथ धर्म क्षेत्र के वट वृक्ष के नीचे खड़े हैं। जिसकी छाया पूरे कोडरमा जिले को भी मिल रही है। झुमरीतिलैया नगरी संत महात्मा, साध्वी के लिए एक जंक्शन है संतो के ठहराव से यहां पर धर्म की गति बढ़ती है धर्म की वृद्धि होती है।
चार महिने के कार्यक्रमों की बताई गई रूपरेखा
इसके पूर्व प्रातः विश्व शांति मंत्रों से अभिषेक शांतिधारा भक्तजनों द्वारा की गई। चतुर्मास कमेटी के संयोजक नरेंद्र झाझंरी ने चार महीने तक होने वाले पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह चतुर्मास सभी के सहयोग से ऐतिहासिक होगा। चुन्नीलाल प्रदीप छाबड़ा परिवार ने झंडारोहण किया। समाज के पदाधिकारी, महिला समाज की पदाधिकारी और निवर्तमान वार्ड पार्षद पिंकी जैन ने आचार्य श्री सिद्धांत सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण किया दीप प्रज्वलित किया। जयकुमार गंगवाल परिवार, महावीर कासलीवाल परिवार, प्रेम बिना झाझंरी परिवार ने नगर गौरव मुनि श्री 108 निर्विकल्प सागर जी महाराज, मुनि श्री 108 प्रांजल सागर जी महाराज और 105 प्रसम मति माताजी के चित्रों का अनावरण किया और दीप प्रज्वलित किया।
प्रत्येक परिवार ने किया सौभाग्य समृद्धि कलश स्थापित
बाल ब्रह्मचारी संजय भैया जी ने शांति मंत्रों के द्वारा भाग्यशाली पुण्यार्जक परिवारों से कलश की स्थापना करवाया। सम्यक दर्शन प्रथम कलश स्थापना धर्मनिष्ठ सुरेश नरेंद्र झाझंरी परिवार ने किया। द्वितीय सम्यक ज्ञान कलश समाजसेवी मूलचंद सुशीलजी छाबड़ा परिवार ने किया तृतीय सम्यक ज्ञान कलश समाज के 21 परिवारों ने किया। जैन समाज के प्रत्येक परिवार के लोगों ने सौभाग्य समृद्धि कलश स्थापित किया। इन सभी स्थापित कलश में चार महीने तक विश्व शांति महामंत्र का जाप होगा जिससे परिवार में समाज में और जिले में आरोग्य, सुख, शांति, सौभाग्य, समृद्धि, यश एवं धर्म की वृद्धि होगी। पूज्य माता जी के चरणों को स्पर्श कर पखारने एवं आरती करने का सौभाग्य मुन्नाजी बाकलीवाल एवं संगीता बाकलीवाल परिवार को मिला। शास्त्र भेंट का सौभाग्य विमल बड़जात्या परिवार को मिला। पूज्य माता जी को वस्त्र भेंट का सौभाग्य कमल सेठी परिवार को मिला।समाज की बच्चियों ने मंगल नृत्य किया महिला समाज ने भक्ति और डांडिया के द्वारा अपनी भक्ति प्रकट की बाहर शहरों से आए भक्तों ने 105 वात्सल्य मूर्ति सौभाग्य मति माताजी को श्रीफल अर्पित किया। मौके पर जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन और राजकुमार अजमेरा के अलावा कई लोग मौजूद थे।