माता की विदाई के मौके पर गिरिडीह में सुहागिनों ने किया सिंदूर खेला के रस्म को पूरा, विदाई को लेकर हर आंखे दिखी नम
गिरिडीहः
नौ दिनों तक भक्तों पर स्न्नेह और आशीर्वाद से झोलियां भरने वाली मां दुर्गे की विदाई की बेला मंगलवार का दिन भक्तों के लिए कष्टों भरा रहा। विदाई की बेला के मौके पर ही मंगलवार को गिरिडीह के पूजा पंडालों और दुर्गा मंडपों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मां के विदा होने के आंखू कमोवेश, हर आंखो में दिखा। हर एक भक्त मायूस भी था, तो अगले साल जल्दी आने की कामना लिए मां के विदाई को लेकर उत्साहित भी। इस बीच महिलाओं और युवतियों की भीड़ माता के विदाई को लेकर मान्यताओं के अनुरुप कोईछा भरने और सिंदूर खेला के रस्म को पूरा करने पहुंची थी। इस दौरान महिलाओं ने पूरे विधि-विधान के साथ मां का कोईछा भरा। और सिंदूर खेला के रस्म को पूरा करती दिखी। एक-दुसरे को सिंदूर लगाने के बाद महिलाओं ने एक-दुसरे के चेहरे पर भी सिंदूर लगाकर विजयादशमी की बधाई और शुभकामनाएं देती नजर आई। ढोल और नगाड़ो के बीच सिंदूर खेला की रस्मों को महिलाओं और युवतियों ने पूरा की। खास तौर पर जिन पूजा पंडाल और मंडपो में मंगलवार को माता की विदाई होना था। वहां पर महिलाओं और युवतियों की भीड़ सबसे अधिक उत्साहित रही, और सिंदूर खेला के रस्म को पूरा की। मौके पर शारदीय नवरात्र के भजन भी भक्तों के कानों में मिश्री घोल रहे थे। शहर के बरगंडा स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंडप, गांधी चाौक स्थित श्री श्री आदि दुर्गा बड़की दुर्गा मंडप और छोटकी दुर्गा मंडप समेत वैसे उन तमाम पूजा पंडाल और मंडप में महिलाओं ने सिंदूर खेला की रस्म को पूरा की।