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गायत्री शक्तिपीठ का 41वां स्थापना दिवस पर 200 श्रद्धालुओं ने किया हवन

  • कई संस्कारों का भी हुआ आयोजन
  • यज्ञ करने से शुद्ध होता है पर्यावरण: नकुल

कोडरमा। गायत्री शक्तिपीठ का 41वां स्थापना दिवस को लेकर मंगलवार को नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुआ। दो पारियां में लगभग 200 श्रद्धालु भक्तों ने हवन कार्यक्रम में शामिल हुए और गायत्री महामंत्र के भाव भरी आहुतीयां समर्पित कर सुख में जीवन की कामना की। इस अवसर पर बच्चों का विद्या संस्कार के अलावा 5 लोगों को गुरु दीक्षा संस्कार भी कराया गया। इस दौरान यज्ञ आचार्य नकुल देव प्रसाद ने कहा कि यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है। कहा कि यज्ञ सिर्फ आध्यात्मिक कार्य ही नहीं यज्ञ एक विशुद्ध विज्ञान भी है।

यज्ञ से होने वाले अध्यात्मिक एवं भौतिक लाभों के बारे में उन्होंने कहा कि मनुष्य एक कर्मशील प्राणी, इस दुनिया में बहुत सारे कार्य हैं इन सभी कार्यों में यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कार्य कहा गया है। यज्ञ से व्यक्ति के समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने यज्ञ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भूखों को भोजन कराना यज्ञ है, प्यासे को पानी पिलाना यज्ञ, रोगी को औषधि देना भी यज्ञ है। भारतीय संस्कृति में यज्ञ एवं गायत्री को देव संस्कृति का माता-पिता भी कहा गया है। यज्ञ को सत्य कर्म एवं गायत्री को सद्बुद्धि के रूप में जाना जाता है। यज्ञ अर्थात सद्बुद्धि एवं सत्कर्म दोनों मिलने से ही देव संस्कृति का निर्माण होता है। वहीं देर रात मंदिर परिसर में दीप महायज्ञ का भी आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य ट्रस्टी अर्जुन राणा, ट्रस्टी संतोष वर्णवाल, महेंद्र मोदी, मृत्युंजय भास्कर, विकास मोदी, महावीर पंडित, प्रकाश ठाकुर, प्रशांत नायक, हरि पंडित, राधा देवी, सुनीता भगत, सारिका भदानी सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।

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