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भाजपा के बागियों को साधकर चिराग बढ़ा रहे नीतीश की परेशानी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के एनडीए से अलग राह लेने के बाद उनकी पार्टी जेडीयू पर तो हमलावर है लेकिन भाजपा की तारीफ कर रही है। ऐसे में जब सवाल उठे तो भाजपा को सफाई देनी पड़ी और नीतीश के साथ पूरी तरह से होने की बात कही। भाजपा ने सफाई भी दी कि किसी को भी बीजेपी और नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी।

उधर नीतीश ने अभी राहत की सांस ली ही थी कि चिराग ने चुनाव में एक नया दांव चल दिया है, जिससे एक बार फिर से जदयू की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोजपा के अलग चुनाव लड़ने का ऐलान होने के बाद भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी ने चिराग पासवान की मौजूदगी में एलजेपी का दामन थाम लिया। दो दिन में ये भाजपा को दूसरा बड़ा झटका है। एक दिन पहले ही पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने भी पार्टी छोड़कर एलजेपी की सदस्यता ले ली थी। राजेन्द्र सिंह के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे 2015 में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे। तब उन्होंने दिनारा विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन जदयू के जय कुमार सिंह से नजदीकी मुकाबले में करीब दो हजार वोट से हार गए थे। राजेंद्र सिंह दिनारा से फिर टिकट चाह रहे थे लेकिन सीट शेयरिंग में ये सीट जेडीयू के हिस्से में गई है। अब ये दोनों नेता एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

एलजेपी में शामिल होने की वजह बताते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा है कि दिनारा के लोग उन पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाए हुए हैं। वे दिनारा के लोगों के प्यार को दरकिनार नहीं कर सकते। भाजपा ने मेरे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। मैं आरएसएस में रहूंगा। राम मंदिर और सीएए का भी समर्थन करूंगा। राजेंद्र सिंह और उषा विद्यार्थी के एलजेपी में शामिल होने को भाजपा के लिए झटका माना जा रहा है, लेकिन भाजपा से ज्यादा बड़ा झटका ये जदयू के लिए है। पार्टी में शामिल होने वाले इन भाजपा नेताओं को लोजपा उन सीटों पर उम्मीदवार बनाएगी जो जदयू के हिस्से में आयी हैं।

भाजपा के बागियों के आने से जदयू मुश्किल में है। भाजपा से आने वाले राजेंद्र सिंह और उषा विद्यार्थी दो नाम ही हैं लेकिन खबर है कि कई और जदयू के खिलाफ पिछली बार चुनाव लड़ चुके कई ऐसे नेता हैं जो इस बार एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। इस बात से जेडीयू भी घबरा गई है और पार्टी में इसे लेकर नाराजगी भी उठ रही है कि भाजपा भले ही सामने कह रही है कि उसका जदयू के साथ गठबंधन है लेकिन अगर भाजपा के नेता एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा। वोटर में कन्फ्यूजन का नुकसान जदयू को ही होगा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के बिहार प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने चेतावनी जारी की है कि जो भी भाजपा नेता एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पार्टी के बागियों के एलजेपी में जाने की आशंका से भाजपा भी डरी हुई है। पार्टी की परेशानी है कि अगर इस तरह से नेता जाते रहे और कार्रवाई न की गई तो वोटर में कन्फ्यूजन हो सकता है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि नीतीश के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन तीन-चौथाई सीट जीतने जा रहा है। पार्टी ने कहा है कि एनडीए में गठबंधन को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं है और चिराग एनडीए गठबंधन का हिस्सा नहीं है। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने तो यहां तक कहा कि नीतीश के नेतृत्व को लेकर कोई किंतु परंतु नहीं है। चाहे जिसकी जो भी सीट आए चुनाव बाद नीतीश कुमार ही सीएम बनेंगे। भाजपा नेता भले जो कहें लेकिन चिराग अपने दांव से लगातार ये साबित करने में जुटे हुए हैं कि उनका भाजपा से विरोध नहीं है। चिराग की कोशिश है कि जहां भाजपा के प्रत्याशी नहीं है वहां बीजेपी के समर्थकों का वोट एलजेपी को जाना चाहिए। भले ही इसके लिए वे बिहार में भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में ही क्यों न मान लिये जाएं। दूसरी ओर पीएम मोदी के दावे को इस्तेमाल न करने की भाजपा की बात को एलजेपी ने नकार दिया है।

एलजेपी नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी किसी एक पार्टी के नेता नहीं हैं बल्कि देश के पीएम हैं। पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि मोदी हमारे लिए विकास का मॉडल हैं। हम उन्हें विकसित भारत के एक मॉडल के रूप में देखते हैं। हम उनका इस्तेमाल नहीं करेंगे बल्कि उनके विचार को जनता तक पहुंचाएंगे। हम बिहार के गर्व की बात करते हैं, पीएम मोदी भी यही चाहते हैं। वहीं जब मंगलवार को एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी उसी दौरान चिराग पासवान ने ट्वीट कर एक बार फिर नीतीश पर निशाना साधा था। चिराग ने नई सरकार बनते ही नीतीश की सात निश्चय योजना की जांच कराने और दोषियों को जेल भेजने की बात लिखी थी। इसे लेकर भी भाजपा को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सफाई देनी पड़ी थी।

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