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राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने मनाई जननायक कर्पुरी ठाकुर की जयंती

  • पिछड़ों के मसीहा ही नहीं क्रांतिकारी मार्गदर्शक भी थे कर्पूरी ठाकुर: राजेश गुप्ता

रांची। राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के द्वारा सोमवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर व कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर पर माल्यार्पण कर की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर पिछड़ों के मसीहा ही नहीं क्रांतिकारी मार्गदर्शक भी थे। उसी का परिणाम था कि देश में पहली बार ओबीसी का आरक्षण 1978 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में लागू किया। जिससे एकीकृत बिहार में ओबीसी समुदाय का सरकारी ओहदे में प्रतिनिधित्व बढा। उन्होंने कहा की जननायक कर्पूरी ठाकुर कहा करते थे पिछड़े वर्गों का आर्थिक उन्नति से मान सम्मान नहीं मिल सकता जब तक देश में संविधान अनुसार सभी वर्गाे में समता कायम न हो जाए। इसलिए देश में समता कायम करने की दिशा मे काम होनी चाहिए।

मोर्चा के प्रदेश महासचिव योगेंद्र प्रसाद ठाकुर में कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर का आचरण निजी और सार्वजनिक जीवन में ऊंचे मानदंड स्थापित किए थे। इसलिए उन्हें जननायक की उपाधि प्राप्त हुई। वरिष्ठ समाजसेवी विद्याधर प्रसाद ने कहा कि बिहार में जननायक कर्पुरी ठाकुर पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे जिन्होंने मैट्रिक में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त की और आठवीं तक की शिक्षा मुफ्त की। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों का काफी लाभ हुआ और कई हजारों लोग सरकारी सेवा में आए।

कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी विद्याधर प्रसाद, प्रदेश महासचिव योगेंद्र प्रसाद ठाकुर, महानगर अध्यक्ष विष्णु सोनी, राम लखन साहू, कार्यालय प्रभारी संतोष शर्मा, विक्रम प्रसाद, सुनैना कुमारी, अशोक कुमार कुशवाहा, अभय गुप्ता, सुदीप साहू सहित कई लोग उपस्थित थे।

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