मनरेगा एवं जेएसएलपीएस ने संयुक्त रूप से दीदी बाड़ी योजना का किया शुरुआत
जमुआ प्रखंड में पांच हजार लाभुकों को इस योजना से जोड़ने का है लक्ष्य: बीडीओ
योजना से एसएचजी की महिलाओं का होगा उत्थान: पंकज कुमार
गिरिडीह। गरीब परिवारों को पोषण युक्त भोजन मिले, इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग झारखंड ने मनरेगा के तहत पूरे राज्य में दीदी बाड़ी योजना शुरू करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को जिले के जमुआ प्रखंड के पिंडरसोत पंचायत में उक्त योजना की शुरुआत बीडीओ विनोद कुमार कर्मकार, बीपीओ हीरो महतो, जेएसएलपीएस के प्रखंड समन्वयक पंकज कुमार तथा मुखिया प्रतिनिधि मुस्लिम अंसारी के द्वारा संयुक्त रूप से सब्जी एवं पपीता का पौधा लगाकर किया गया।
बीडीओ ने कहा कि उक्त योजना के तहत अपने घर के आस-पास की जमीन में अपने परिवार के पोषण की आवश्यकता के अनुसार एक से पांच डिसमिल जमीन पर पोषण युक्त सब्जियों समेत अन्य फसलों का उत्पादन किया जाना है, ताकि ग्रामीणों को पोषण युक्त भोजन की जरूरत पूरी हो सके। कहा कि योजना के क्रियान्वयन में झारखंड स्टेट लाइवली हुड प्रमोशन सोसाइटी का भी सहयोग लिया जा रहा है। कहा कि वर्तमान में जमुआ प्रखंड में पांच हजार लाभुकों को इस योजना से जोड़े जाने का लक्ष्य है।
पोषण युक्त भोजन की समस्या को ध्यान में रख कर दीदी बाड़ी योजना की हुई शुरुआत
बताया गया कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण आंगनबाड़ी और स्कूल बंद होने से गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी प्रभावित हुए हैं। इनके पोषण युक्त भोजन की समस्या को ध्यान में रख कर दीदी बाड़ी योजना की शुरुआत राज्य में कराने का निर्णय हुआ है। इस योजना का क्रियान्वयन एक से पांच डिसमिल जमीन पर आसानी से हो जायेगा। साथ ही भूमिहीन ग्रामीणों द्वारा भी 2 से 5 लोगों के समूह में सार्वजनिक जमीन पर ग्रामसभा की अनुमति से दीदी बाड़ी योजना शुरू की जा सकती है। इस योजना के सफल संचालन के लिए लाभुकों को पोषण संबंधी प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस योजना का क्रियान्वयन गांव स्तर तक किया जाना है, जहां दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ीं सखी मंडल ग्राम संगठन और सीएलएफ की दीदी को कार्य करना है।
कई प्रकार के लगाये जायेंगे फलदार पेड़
पोषण भोजन के तहत दीदी बाड़ी योजना में सब्जी, पपीता, केला आदि के पौधे लगाये जाएंगे। योजना का लाभ मनरेगा गाईडलाईन के अनुरूप अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, जनजातीय समूह, गैर अनुसूचित जनजातियां, गरीबी रेखा के नीचे का परिवार, महिला प्रधान वाला परिवार, शारीरिक रूप से विकलांग प्रधान वाला परिवार, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पारंपरिक वनवासी अधिनियम 2006 के लाभार्थी, लघु एवं सीमांत किसान आदि को दीदी बाड़ी योजना का लाभ मिलना है।
स्वयं सहायता समूह या ग्राम संगठन के माध्यम से होगा लाभुकों का चयन
लाभुकों का चयन राज्य आजीविका मिशन की स्वयं सहायता समूह या ग्राम संगठन के माध्यम से किया जायेगा। लाभुकों के चयन में विकास के भागीदार एसएचजी या वीओ को सहयोग प्रदान कर सकते हैं। स्वयं सहायता समूह या ग्राम संगठन के माध्यम से चयनित लाभुकों की योजना का अनुमोदन ग्रामसभा एवं ग्राम पंचायत द्वारा किया जायेगा।
मनरेगा के प्राक्कलन के अनुरूप मजदूरी भुगतान
दीदी बाड़ी योजना में अलग-अलग लाभुकों की कुल 30 डिसमिल योजना के लिए सखी मंडल की दीदियों का सहयोग लिया जायेगा। एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक सखी दीदी को 100 मानव दिवस का कार्य दिया जायेगा। एक दीदी का सहयोग महीना में 7 से 15 दिनों तक कार्य के अनुसार लिया जा सकता है। वहीं, कार्य दिवस के आधार पर अकुशल मजदूरी दिया जायेगा। इस दौरान अकुशल श्रमिकों की भांति इनका भी मस्टर रोल बनेगा। इस कारण जॉब कार्ड और बैंक खाता का होना जरूरी है। मजदूरों की मजदूरी मनरेगा के प्राक्कलन के अनुरूप दिया जायेगा।
योजना के सफल संचालन के लिए मिलेगा प्रशिक्षण
लाभुक एवं दीदी बाड़ी सखी का प्रशिक्षण जेएसएलपीएस की ओर से दिया जा रहा है और आगे भी दिया जाएगा। मौके पर जेएसएलपीएस के बीपीओ रवि आनंद, धर्मेन्द्र कुमार एवं मों.हुसैन, बीआरपी अंजू देवी, प्रेम सागर सहित समूह की दर्जनों महिलाएं उपस्थित थीं।