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कपट से दूर रहने वाला मनुष्य ही सुखी रहता है: विदुषी आरिका

  • जैन मंदिर में पर्युषण महापर्व जारी

कोडरमा। विश्व शांति मंत्रों के साथ मंत्रीत जल से अभिषेक दोनों जैन मंदिर में करते हुए पर्युषण महापर्व के तिसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन देते परम विदुषी आरिका 105 सौभाग्य मति माताजी ने कहा कि छल कपट से दूर रहने वाला मनुष्य ही सुखी रहता है। अपने जीवन में सरलता का भाव लाना ही आर्जव धर्म है। जीवन में हमेशा प्रसंता के रथ पर सवार होने और प्रसन्न रहने के लिए उत्तम आर्जव धर्म को अपनाना होगा। लोगों को धर्म के मार्ग में अपने इस बहुमूल्य जीवन को लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हे मानव ! क्यों छल करता है अपनो से तू रावण ने छल किया अन्जाम सबको पता है। कौरवो ने पांडवो से छल किया अन्जाम सब को पता है


हे मानव तेरा संसार में जन्म छल कपट धोखा देने को नही हुआ है। अपितु अपना जन्म को सार्थक करने के लिए हुवा है। इसलिए अपने जीवन में उत्तम आर्जव धर्म को अपनाएं सरल बने व्यवहारिक बने।


रविवार की सुबह नया जैन मंदिर में प्रथम अभिषेक ओर शांतिधारा का सौभाग्य प्रदीप छाबड़ा के परिवार को और बड़ा जैन मंदिर के मुलवेदी पर नंद-हेमंत बड़जात्या, 1008 पद्मप्रभु भगवान का मनोज जैन चूड़ीवाला, भगवान का मंगल बिहार और प्रथम अभिषेक सुभाष-कुणाल जैन ठोल्या, ओर विशेष माता जी के मुखर बृंद से अभिषेक शांतिधारा सुरेन्द जैन काला को प्राप्त हुआ।
दिन में माता जी द्वारा तत्वार्थ सूत्र का वाचन के साथ शाम को आरती सुनील जैन लुहाड़िया के परिवार के द्वारा किया गया। मौके पर जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार जैन अजमेरा मौजूद थे।

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