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महानवमी के दिन शुरू होगी जन रामायण महायात्रा

  • नवम्बर में अयोध्या में होगा जन रामायण महोत्सव, साहित्यकारों का लगेगा जमावड़ा
  • विश्व का सबसे अनूठा काव्यग्रन्थ है जन रामायण

गिरिडीह। अयोध्या में आहूत श्री रामलला अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव जन रामायण को लेकर मंगलवार महानवमी के दिन गिरिडीह से अयोध्या के लिए जन रामायण यात्रा की शुरुआत की जायेगी। यह यात्रा गिरिडीह से पार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ से लखनऊ फिर लखनऊ से अयोध्या तक की जायेगी। जिसमें जन रामायण और आयोजन अयोध्या को लेकर जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उत्तरप्रदेश के सभी गणमान्य व्यक्ति और साहित्यकारों को निमंत्रण दिया जाएगा। 4 की शाम लखनऊ से अयोध्या के लिए यात्रा निकलेगी और राम की पौड़ी में संध्यावंदन आरती के साथ रामलला को निमंत्रण दिया जाएगा। अगली सुबह सरयू स्नान और राम लला दर्शन पूजन कर आयोजन की सफलता हेतु प्रार्थना की जाएगी।

साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति संगम साहित्योदय के बैनर तले अयोध्या में आगामी 19-20 नवम्बर को श्री राम लला अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव का आयोजन किया जाएगा। अयोध्या के जानकी महल में आयोजित जन रामायण उत्सव में दुनियाभर के कवि, लेखक, साहित्यकार और कलाकारों का विशाल जमावड़ा लगेगा। इस मौके पर विश्व के सबसे अनूठे साझा महाकाव्य जन रामायण सहित कई पुस्तकों का भव्य विमोचन, कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी, सम्मान समारोह और साहित्यिक पर्यटन होगा।

दो दिवसीय साहित्य समागम में देश के कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और कलाकार शामिल होंगे। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को साहित्योदय रत्न सम्मान दिया जाएगा। आयोजन की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र करेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों के पहुँचने की संभावना है।

बताया कि जन रामायण स्वयं में एक अनूठा साझा कव्यग्रन्थ है जिसमें विश्व के सौ से अधिक रचनाकारों ने मिलकर सहज, सरल और सरस जनभाषा में लिखा है। इसको लेकर गत वर्ष 5-6 दिसम्बर को जन रामायण पर साढ़े 26 घण्टे का ऑनलाइन कवि सम्मेलन कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है। उन्होंने बताया कि साहित्योदय पिछले कई वर्षों से साहित्य कला और संस्कृति के प्रचार प्रसार में कार्य कर रहा है। कोरोना काल मे सबसे पहले और सर्वाधिक 2 हजार से अधिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन, काव्यपाठ, सम्मान करवा चुका है। साहित्योदय प्रकाशन के तहत अबतक कई पुस्तकें छप चुकी है।

जन रामायण स्वयं से सबसे अनूठा महाकाव्य है जिसमें सौ से अधिक रचनाकारों ने अलग-अलग प्रसंगो को लिखा है। अब तक उपलब्ध जितने रामायण हैं वे सब किसी एक रचनाकार की कृति है। महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास के अलावे तीन सौ से अधिक रचनाकारों ने अलग अलग-अलग भाषाओं में रामायण को लिखा है। जबकि जन रामायण के 108 प्रसंगो को 108 रचनाकारों ने लिखा है। इसके साथ ही 8 अन्य रचनाकारों ने भजन आरती और गीत लिखा है।

अन्य रामायण संस्कृत, अवधी, तेलगु, तमिल, हिंदी, उड़िया, बांग्ला सहित अन्य भाषाओं में भी लिखी गयी है लेकिन उन्हें पढ़ने समझने के लिए भाषा टीका की जरूरत पड़ती है। जन रामायण को सभी रचनाकारों ने बिल्कुल जन भाषा मे लिखा है जो सहज, सरल और सरस है। अलग-अलग प्रांत, देश और भाषा बोली क्षेत्र के रचनाकारों की लेखनी से उस क्षेत्र विशेष की खुशबू महकती है। सबके खास बात यह कि अलग-अलग रचनाकारों के बावजूद रामायण की कहानी अपनी तारतम्यता से बढ़ती है। कहीं कोई अवरोध नहीं है।

रामायण के प्रति बचपन से विशेष लगाव रहा है। घर में रामायण, महाभारत सहित तमाम ग्रन्थ भरे पड़े थे तो बचपन में उन्हें पढ़ने लगा। बाल्मीकि रामायण संस्कृत में है जिसे समझने हेतु हिंदी भावार्थ का सहारा लेना पड़ता है। इसी तरह घर-घर में लोकप्रिय रामचरितमानस की अवधी को समझने के लिए लोगों को हिंदी में भावार्थ पढ़ना पड़ता हैं। हालाँकि रामानंद सागर की रामायण सीरियल ने रामकथा को और अधिक लोकप्रिय बनात दिया। फिर भी सरल हिंदी भाषा काव्यरूप में सम्पूर्ण रामायण की कमी थी। इसलिए सरल भाषा बोली में जन रामायण का सृजन हुआ।

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