सदर विधायक सोनू पर भाजपा नेताओं द्वारा लगाएं आरोप के बाद झामुमो ने तोड़ी चुप्पी, सारा खेल बाबूलाल मंराडी के कार्यकाल 2002 में हुआ
फिर सदर विधायक पर आरोप कैसे, पचंबा का विवादित प्लाॅट का मामला शहर के दो जमीन कारोबारियों है जुड़ा
पूर्व सीएम समेत भाजपा नेताओं से पूछे सवाल भाजपा में जमीन लूटने वालों की संख्या भी गिनाएं
गिरिडीहः
पूर्व सीएम बाबूलाल मंराडी समेत भाजपा नेताओं द्वारा गिरिडीह के सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू पर लगे आरोप के दो दिन बाद झामुमो ने चुप्पी तोड़ी। और शनिवार को शहर के बस पड़ाव स्थित झामुमो कार्यालय में प्रेसवार्ता कर पार्टी के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कड़े शब्दों में पूर्व सीएम मंराडी पर बरसे। अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता के दौरान जहां सदर विधायक सोनू का बचाव भी किया। तो पूर्व सीएम समेत भाजपा नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाएं। कहा कि बगैर तथ्य और प्रमाण किसी जनप्रतिनिधी पर आरोप लगाना उचित नहीं। यही काम भाजपा के दुसरे नेता भी कर रहे है। जबकि हकीकत यह है कि भाजपा के शासनकाल में सत्ता का संरक्षण हासिल कर जमीनों को लूटती आई है। झामुमो अध्यक्ष ने संजय सिंह ने पूर्व सीएम मंराडी समेत भाजपा नेताओं को प्रेसवार्ता के दौरान चुनौती देते हुए कहा कि गिरिडीह में जमीन का अवैध कारोबार व लूटने वालों की संख्या भाजपा में कितनी है कभी पूर्व सीएम मंराडी को यह भी स्पस्ट करना चाहिए। गिनती शुरु की जाएं, तो एक लंबी सूची ही बन जाएं।
झामुमो अध्यक्ष ने पूर्व सीएम व आरोप लगाने वाले और भाजपा नेताओं पर कड़े हमले करते हुए कहा कि पचंबा निवासी सुरेश गुप्ता जिस जमीन पर अपना दावा कर रहे है। उसे सदर विधायक का कोई लेना-देना नहीं है। प्रेसवार्ता के दौरान अध्यक्ष ने यह भी कहा कि विवादित प्लाॅट का यह मामला साल 2002 का है। और झामुमो विधायक सोनू दो साल पहले साल 2019 में चुनाव जीते थे। फिर इस मामले में विधायक कहां से आ गए? अध्यक्ष संजय सिंह ने यह भी कहा कि पचंबा निवासी सुरेश गुप्ता ने सीएम हेंमत सोरेन को पत्र में खुद ही स्पस्ट किया है कि जरीडीह मौजा के प्लाॅट के मूल रैयत राजकुमार सर्वाधिकारी की मौत साल 1911 में हुई। और इसी प्लाॅट का डीड साल 1934 में सामने आता है। यही नही इस डीड के आधार पर 19 साल पहले 2002 में म्यूटेशन होता है। ऐसे में आरोप लगाने पूर्व सीएम बाबूलाल मंराडी ही यह जवाब दे, तो बेहतर होगा कि आखिकार कागजातों में हेरफेर किस प्रकार हो गया। क्योंकि साल 2002 में इस प्लाॅट का म्यूटेशन होता है। और उस वक्त मुख्यमंत्री आरोप लगाने वाले बाबूलाल मंराडी खुद थे। लेकिन हैरानी की बात है कि जवाब देने के बजाय तथ्यहीन आरोप लगाकर पाॅलिटीकल ड्रामा और स्टंट करने में पूर्व सीएम लगे हुए है। जाहिर है कि आरोप लगाकर पूर्व सीएम मंराडी अब खुद फंस चुके है।
वैसे प्रेसवार्ता के दौरान झामुमो अध्यक्ष सवाल पूछकर आरोप लगाने वाले पूर्व सीएम समेत भाजपा नेता को यह कहकर घेरा कि अब तक शहरी क्षेत्र में जितने जमीनों और तालाबों पर कब्जा हुआ है। उनमें किनका हाथ रहा, और वैसे लोगों को अब तक संरक्षण क्यों मिलता रहा। इधर प्रेसवार्ता में झामुमो नेता अजीत कुमार पप्पू, शाहनवाज अंसारी, कुमार गौरव, सुमन सिन्हा, प्रमिला मेहरा समेत कई मौजूद थे।
शनिवार को झामुमो द्वारा पूर्व सीएम मंराडी पर किए गए सवालों के हमले के कुछ देर बाद भाजपा नेता सुरेश साव ने भी प्रेस-विज्ञप्ती जारी कर कहा कि जमीन विवाद में झामुमो सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप के खेल में लगी हुई है। बेहतर होता है कि झामुमो नेताओं समेत सदर विधायक को पूरे मामले की जांच कराकर सीएम को आवेदन लिखने वाले को इंसाफ दिलाते। जो एक भूमाफिया समेत कई बड़े उद्योगपतियों के हाथों लूटे जा रहे है।