झारखंड एटीएस की टीम पहुंची गिरिडीह, जेल में बंद मेंहदी हसन के दो अनुयाईयों को रिमांड पर लेकर किया पूछताछ
एटीएस के शुरुआती जांच में मेंहदी हसन के अनुयायीई नहीं निकले कोई इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन के
गिरिडीहः
झारखंड एटीएस एंटी टेरिस्ट स्कॉयड की टीम गुरुवार को गिरिडीह पहुंची। टीम में एटीएस के इन्सपेंक्टर विनोद कुमार, सब इन्सपेंक्टर संतोष कुमार भी शामिल थे। तीन दिन पहले भी एटीएस की एक टीम गिरिडीह पहुंची थी। और पटना के फूलवारीशरीफ पुलिस के हत्थे चढ़े भेलवाघाटी के पूर्व थाना प्रभारी और देशविरोधी गतिविधी में शामिल जलालुद्दीन के मामले में कई अहम जानकारी जुटायी थी। पुलिस सूत्रों की मानें तो जलालुद्दीन मामले में एटीएस भेलवाघाटी भी गई थी। लेकिन वहां से एटीएस को क्या जानकारी मिली, इसका खुलासा नहीं हो पाया। जबकि गुरुवार को एटीएस की टीम के इस्पेंक्टर विनोद कुमार और सब इन्सपेंक्टर संतोष कुमार ने शकील बिन हनीफ के दो अनुयायीई को रिमांड पर लेकर पूछताछ किया। एटीएस की टीम के दोनों अधिकारियों ने जिन दो अनुयायीई को जेल से रिमांड पर लिया। उसमें एक मो. हम्माद और दुसरा मो. माज शामिल है। पुलिस सूत्रों की मानें तो दोनों को ही एटीएस की टीम ने गिरिडीह नगर थाना में रखकर करीब पांच घंटे तक पूछताछ किया।
पूछताछ के दौरान टीम को दोनों अनुयायीई से क्या जानकारी मिली। टीम के पदाधिकारियों ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। लेकिन पांच घंटे के पूछताछ के बाद शुरुआती जांच में यह स्पस्ट हो गया कि शकील बिन हनीफ के जिन 14 अनुयायीई को जिहादी और इस्लामिक कट्टरपंथी के आरोप में केस दर्ज कर जेल भेजा गया। वो सारे आरोप एटीएस के शुरुआती जांच में गलत निकले है। इतना ही नही शकील बिन हनीफ के अनुयाई इस्लामिक कट्टरपंथी को भी बरदर्शास्त नहीं करते। शकील बिन हनीफ के अनुयाईयों का मानना है कि पैंगबर मोहम्मद सॉहब भी है कि और उन्हें मानने से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन जब कयातम आएगी, तो कयामत के आने से पहले मेंहदी हसन नबी एक साधारण इंसान के रुप में अवतरित होगेे। और वो जन्म ले चुके है शकील बिन हनीफ के रुप में। जिसे जेल में बंद सारे अनुयाई मानते है।
दरअसल, गिरिडीह में पैंगबर मोहम्मद सॉहब को मानने और नहीं मानने का विवाद पिछले 25 दिनों से मुस्लिम समुदाय के बीच ही चल रहा है। पैंगबर मोहम्मद को मानने वाले जहां मेंहदी हसन को मानने वाले जिहादी बताकर मुस्लिम युवाओं को भड़काने का आरोप लगाते रहे है। तो वहीं दुसरी तरफ मेंहदी हसन को मानने वाले शकील बिन हनीफ के अनुयाई का विरोध भी एक समुदाय के दुसरे पक्ष के लोगों के साथ चलता रहा। इसी क्रम में एक सप्ताह पहले भंडारीडीह में दोनों पक्ष के लोग आपस में भिड़े थे। जिसमें तौकिर कैसर और सरफराज नामक दो युवक को चोट लगा था। इसके बाद पैंगबर मोहम्मद सॉहब को मानने वाले पक्ष के लोगों ने केस दर्ज कराया था। केस दर्ज होने के बाद दो रांउड में 14 आरोपियों को जेल भेजा गया था। जेल भेजे गए आरोपियों में कोई इंजिनियर था, तो कोई अनुवादक था। बहरहाल, एटीएस के जांच के बाद काफी हद तक स्पस्ट हो गया कि मेंहदी हसन को मानने वाले जिहाद फैलाने के आरोप में जेल गए आरोपी कोई कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन से नहीं है।