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केडिया धर्मशाला के मामले में नगरीय प्रशासन की निदेशक विजया जाधव ने गिरिडीह नगर निगम के उप नगर आयुक्त को किया नोटिस जारी

धर्मशाला के प्लाॅट पर फर्जी दस्तावेज पर आवास निर्माण की स्वीकृति देकर फंसे उप नगर आयुक्त समेत कर्मी

गिरिडीहः
पचंबा केडिया धर्मशाला के प्लाॅट पर प्रधानमंत्री शहरी आवास की स्वीकृति और आवास निर्माण कराने के मामले में गिरिडीह नगर निगम अब बुरी तरह फंस चुका है। स्थिति यह है कि निगम के उप नगर आयुक्त समेत पीएम आवास योजना के नोडल पदाधिकारी व सिटी प्रबंधक मामले में खुद को बचाने को लेकर जितना प्रयास कर रहे है। उतना ही घिरते जा रहे है। केडिया धर्मशाला के प्लाॅट की अवैध दस्तावेज तैयार कर नगर निगम से आवास निर्माण की स्वीकृति और राशि की मंजूरी दिलाकर आवास निर्माण के मामले में दिनेश पांडेय और नीरज पांडेय के खिलाफ जहां पहले ही स्पस्ट हो गया कि दोनों ने फर्जी दस्तावेज पर निगम से आवास स्वीकृत कराया। तो मामला सामने आने के बाद पहले जहां सदर अचंलाधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट डीसी को सौंप कर केडिया धर्मशाला के प्लाॅट पर आवास निर्माण को अवैध बताया था। तो वहीं अब नगर विकास विभाग की नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने सीओ के रिपोर्ट के आधार पर उप नगर आयुक्त राजेश प्रजापति को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर दो बिंदु पर सवाल पूछी है। नोटिस जारी कर नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने पूछा है कि पचंबा केडिया धर्मशाला के ट्रस्टी श्रवण केडिया का आरोप कितना सही है और और आरोप यही है तो किस आधार पर दिनेश और नीरज पांडेय को आवास निर्माण की स्वीकृति दे दिया गया। वहीं दुसरा सवाल प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने पूछा कि आवास निर्माण की स्वीकृति देने में उप नगर आयुक्त के अलावे नगर निगम के कौन-कौन कर्मी जिम्मेवार है।


लिहाजा, ये तय माना जा रहा है कि अगर उप नगर आयुक्त ने तीनों दिनों के भीतर नगरीय प्रशासन निदेशक को सही जवाब नहीं दिया, तो मामले में वैसे पदाधिकारी और कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई होना तय है। क्योंकि नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने उप नगर आयुक्त को कड़े तेवर के बीच दोनों बिंदुओं पर सवालों का जवाब देने को कही है। बताते चले कि बीतें चार माह पहले पचंबा के दिनेश और नीरज पांडेय ने नगर निगम के पदाधिकारी और कर्मियों के साथ तालमेल कर केडिया धर्मशाला के प्लाॅट पर फर्जी दस्तावेज पर पीएम शहरी आवास योजना का स्वीकृति भी दिला लिया। और आवास भी तैयार कर लिया था। मामला जब सामने आया, तो केडिया धर्मशाला के ट्रस्टी ने डीसी समेत कई अधिकारियों के पास शिकायत किया था। इसके बाद डीसी राहुल सिन्हा के निर्देश पर सदर अचंलाधिकारी ने जांच कर ट्रस्टी के आरोपों को सही पाया।

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