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जिले के गावां व तिसरी पुलिस के नाक के नीचे से बिहार में हो रही है अवैध शराब की तस्करी

  • गावां व तिसरी थाना क्षेत्र से गुजरने के बाद सतगांवा में कई बार जप्त किया गया शराब का खेप
  • छापेमारी के नाम पर सिर्फ छोटे शराब के भट्टियों को किया जाता है नष्ट
  • अवैध शराब के बड़े व्यवसायियों को मिल रहा है संरक्षण

निशांत बरनवाल
गिरिडीह। गावां व तिसरी थाना क्षेत्र के विभिन्न मार्गों में इन दिनों देशी, विदेशी व डुप्लीकेट शराबों की धडल्ले से तस्करी की जा रही है। यहां हैरत की बात यह है कि गावां व तिसरी थाना पुलिस इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रही है। बता दें कि इन क्षेत्रों से तस्करी करने वाले शराब माफिया को सतगांवा व बिहार पुलिस पकड़ लेती है मगर इसकी जानकारी तक गावां व तिसरी पुलिस को नहीं मिल पाती है, जो खुद में एक बड़ा सवाल है। इसके अलावा गावां व तिसरी के सुदूरवर्ती गावों व जंगलों में जहरीली देशी महुआ शराब व डुप्लीकेट अंग्रेजी शराब का धडल्ले से निर्माण भी किया जाता है। जिसे तिसरी और गावां के विभिन्न इलाकों व होटलों में परोसा जाता है।
जानकारी के अनुसार इन माफियाओं का संरक्षण गावां व तिसरी प्रखंड के कुछ सफेदपोश लोगों द्वारा तथा पुलिस प्रशासन द्वारा भी दिया जाता है। जिससे ये बेधड़क हो कर बिहार में सप्लाई करते हैं।


बताते चलें कि एक माह पूर्व बिहार के नवादा जिले की पुलिस ने भी शराब के एक खेप ले जाते हुए जब्त किया था। जिसके बाद वे जांच करने गावां पहुंची थी जहां शराब माफियाओं का गावां थाने से जुड़े होने के कुछ सुराग भी हाथ लगे थे। मगर इसे बाद में लीपा पोती कर खत्म कर दिया गया। वहीं एक दिन पूर्व भी कोडरमा के नासरगंज थाने की पुलिस ने विदेशी शराब लदे पिकप वैन को जब्त किया। जिसे भी गावां थाना क्षेत्र के माल्डा से बिहार ले जाते समय गुप्त सूचना के आधार पर पकड़ा गया था।


इसके अलावा कुछ दिन पूर्व भी गावां के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में गावां पुलिस व अपकारी विभाग द्वारा छापेमारी अभियान चलाया गया था। जिसमे कई छोटे मोटे शराब भाटियों को तोड़ा गया था जबकि सच्चाई यह है कि बड़े पैमाने पर चल रहे मुन्ना साव सहित दर्जनों लोगों की भट्ठियों को छोड़ दिया गया था। ऐसे कई मामले हो चुके है जो यह साबित करता है कि गावां थाना पुलिस और तिसरी थाना पुलिस के नाक के नीचे शराब का यह अवैध कारोबार धडल्ले से फल फूल रहा है और इस पर लगाम लगाने की किसी के द्वारा कोशिश भी नही की जा रही। सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर छोटे मोटे भट्ठियों को तोड़ कर अपना पल्ला झाड़ कर वाहवाही लूटी जा रही है।

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