धनवार के केन्दुआगढ़ा गांव के सगे भाईयों के संदिग्ध मौत का कारण तलाशने में गिरिडीह पुलिस 20 दिनों बाद भी नाकाम
डीआईजी के दावे भी नहीं दिख रहा कोई असर, पीड़ित परिजनों को इंसाफ दिलाने का वादा कर भूले भाजपा प्रतिपक्ष नेता
गिरिडीहः
धनवार के केन्दुआगढ़ा गांव में दो मासूम भाईयों के संदिग्ध मौत का कारण गिरिडीह पुलिस तलाश नहीं पाई है। जबकि घटना के पांच दिन बाद डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर बड़ी-बड़ी बात और दावे कर चले गए। लेकिन पांच नवंबर को हुए घटना के बाद बीस दिन बीतनें को है। और पुलिस के हाथ खाली है। यही नही मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी होमकर ने एसआईटी जांच कर पूरे मामले के उद्भेदन करने की बात मीडिया कर्मियों के समक्ष किया था। एसआईटी जांच का जिम्मा डीएसपी टू संतोष मिश्रा को दिया गया था। लेकिन बीस दिन बीतनें के बाद एसआईटी के हाथ खाली होना जाहिर करता है कि पुलिस के पास नाकामी के अलावे कुछ और हाथ नहीं लगा है।
वैसे भाजपा प्रतिपक्ष के नेता सह क्षेत्र के विधायक बाबूलाल मंराडी भी घटना के बाद पीड़ित परिजनों से मिलकर मामले में आंदोलन कर इंसाफ दिलाने का भरोषा दिलाएं थे। लेकिन भाजपा प्रतिपक्ष के नेता भी संभवत पीड़ित परिजनों को भूल गए। लिहाजा, परिजनों को इंसाफ कब और कैसे मिलेगा, यह सवाल पुलिस और भाजपा प्रतिपक्ष नेता दोनों के सामने है।
हालांकि मासूमों के मौत का कारण बताने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या सामने निकल कर आया। यह बताने से भी पुलिस फिलहाल इंकार रही है। इस दौरान जब डीएसपी टू संतोष मिश्रा से मामले को लेकर जानकारी ली गई। तो डीएसपी से भी संपर्क नहीं हो पाया। बतातें चले कि बीतें तीन नवंबर को धनवार के केन्दुआगढ़ा निवासी लालजीत साव के दो बेटे आठ वर्षी पवन साव और छह वर्षीय पीयूष साव शौचालय जाने की बात घर से निकले थे। इसके बाद दोनों भाईयों का कोई पता नहीं चला।
दोनों भाईयों के लापता होने के तीसरे दिन केन्दुआगढ़ा गांव से करीब छह सौ मीटर दूर खेत के समीप 12 फीट निर्माणाधीन डोभा में दोनों का शव मिला था। निर्माणाधीन डोभा किसी मुस्लिम असंारी का था। दोनों भाई के मिले शव के बाद ग्रामीणों ने घंटो सड़क जाम कर गुस्से का प्रदर्शन किया था। वहीं छह नवंबर को डीआईजी और एसपी अमित रेणु के साथ पुलिस पदाधिकारियों ने घटनास्थल का जायजा लिया। तो डीआईजी ने एसआईटी गठित कर मामले के खुलासे का दावा करने की बात कही थी।