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कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने कीे मांग को लेकर गिरिडीह कर्मी समाज ने मनाया डहरे सोहराय पर्व

गिरिडीहः
राज्य के कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर रविवार को गिरिडीह के नेशनल हाईवे डुमरी, बगोदर से लेकर धनबाद के बरवाअड्डा और झारखंड-बंगाल के सीमावर्ती इलाके तक डहरे सोहराय पर्व का बड़ा आयोजन किया गया। 81 किमी लंबे इस डहरे सोहराय पर्व में लाखों की संख्या में कुर्मी जाति के लोग जुटे जरुर थे। लेकिन पूरा कार्यक्रम अलग-अलग स्थानों पर हुआ। लिहाजा, भीड़ का आकलन करना मुश्किल हो गया। लेकिन वृहद झारखंड कला संस्कृति मंच आयोजकों का दावा है कि 81 किमी लंबे इस कार्यक्रम में पांच लाख से अधिक कुर्मी जाति के लोगों की भीड़ जुटी थी। इस दौरान बगोदर में ही नौ अखाड़े लगाएं गए। जबकि डुमरी में छह अखाड़े लगाएं, तो निमियाघाट, बरवाअड्डा, तोपचांची समेत अन्य स्थानों पर भी अखाड़े लगाएं गए थे। और सभी स्थानों पर डहरे सोहराय की शुरुआत प्राकृतिक पूजा के साथ शुरु किया गया। मौके पर मांदर के थाप पर झूमर नृत्य पेश किया गया। और लोगों को मांदर के थाप में झूमते देखा गया। कमोवेश, कुर्मी जाति के लोगों ने विधि-विधान के साथ प्राकृतिक की पूजा-अर्चना किया। इधर डहरे सोहराय में ही कुर्मी जाति के झरी महतो, जीतेन्द्र महतो, तुलसी महतो, बंधन पटेल, परमेशवर महतो, जीवलाल महतो समेत कुर्मी जाति के काफी संख्या में लोग जुटे थे।

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